असम सरकार ने बीती 23 जनवरी को बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई का फैसला किया था. इसके तहत बाल विवाह के दोषियों को गिरफ्तार करने के साथ ही व्यापक जागरूकता अभियान भी चलाया चलाने की बात कही गई थी.पुलिस 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से विवाह करने वालों के खिलाफ पॉक्सो कानून के तहत मामला दर्ज कर रही है. इसके अलावा 14 से 18 साल तक की लड़कियों से विवाह करने वालों के खिलाफ बाल विवाह रोकथाम अधिनियम, 2006 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
पुलिस अभियान शुरू होने के बाद खासकर बांग्लादेश से सटे मुस्लिम-बहुल धुबड़ी जिले में गिरफ्तारियों के विरोध में सैकड़ों महिलाएं सड़क पर उतर आई हैं. उन्होंने इलाके के तमारहाट पुलिस स्टेशन के सामने प्रदर्शन किया और पुलिस के साथ धक्का-मुक्की की. इन महिलाओं ने कुछ देर के लिए हाईवे पर वाहनों की आवाजाही भी ठप कर दी थी. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. महिलाओं की मांग थी कि बाल विवाह के आरोप में गिरफ्तार उनके पतियों और पुत्रों की तत्काल रिहा किया जाए.
प्रदर्शनकारी महिलाओं का आरोप है कि परिजनों की गिरफ्तारी के कारण उन्हें आर्थिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. कोकराझार जिले की एक महिला एम. बसुमतारी का सवाल था, “आखिर पुरुषों को क्यों गिरफ्तार क्यों किया जा रहा है? घर के कमाऊ सदस्यों के जेल जाने के बाद परिवार का गुजारा कैसे होगा? मेरे पास आय का कोई दूसरा साधन नहीं है.”
एक अन्य महिला सबीना खातून का कहना कि उनका बेटा एक एक नाबालिग लड़की के साथ भाग गया था. गलती उसने की लेकिन मेरे पति को क्यों गिरफ्तार किया गया?" एक अन्य महिला नसीमा बानो बताती है, "शादी के समय मेरी बहू थी 17 वर्ष की थी. अब वह 19 वर्ष की है और पांच महीने की गर्भवती है. बेटे के जेल जाने के बाद उसकी देखभाल कौन करेगा?''धुबड़ी की रहने वाली जहीरा बेगम बताती है कि उसका 19 वर्षीय पुत्र एक लड़की को घर से भगा कर ले आया था. लेकिन शादी नहीं की थी. लड़की के पिता की शिकायत पर मेरे पुत्र और पति को गिरफ्तार कर लिया गया.
एक और महिला ने पुलिस स्टेशन जाकर धमकी दी है कि उनके पिता और पति को नहीं छोड़ा गया तो वो भी खुदकुशी कर लेगी. दक्षिण सालमारा जिले में बाल विवाह करने वाली खुशबू बेगम ने गिरफ्तारी के डर से कथित रूप से आत्महत्या कर ली. उसके दो बच्चे थे और कोविड से पति की मौत हो गई थी.
कांग्रेस नेता और बरपेटा के सांसद अब्दुल खालेक कहते हैं, "हम बाल विवाह के खिलाफ हैं और इसे हर हाल में रोका जाना चाहिए. लेकिन सात साल पहले शादी करने वाले किसी दंपती की गिरफ्तारी गले से नीचे नहीं उतरती. गिरफ्तारी के बाद क्या सरकार उनके बच्चों की देखभाल कौन करेगा." असम प्रदेश तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा कहते हैं कि किसी खास तबके को निशाना बनाने के लिए कानून को हथियार नहीं बनाया जाना चाहिए.विपक्षी नेताओं की दलील है कि बाल विवाह रोकथाम अधिनियम कोई नया नहीं है. लेकिन बावजूद इसके प्रशासन की नाक तले इतने बड़े पैमाने पर बाल विवाह कैसे होते रहे?एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार के फैसले का विरोध करते हुए बीजेपी सरकार को मुस्लिम-विरोधी बताया है. उन्होंने गिरफ्तारियों पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार लड़कों को जेल भेज देगी तो लड़कियों का क्या होगा? उनकी देखभाल कौन करेगा?"
ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) प्रमुख मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने भी बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए बीजेपी सरकार पर लोगों को धर्म के आधार पर बांटने का आरोप लगाया है. उन्होंने पुलिस की कार्रवाई को मुस्लिम विरोधी बताते हुए कहा गिरफ्तार किए गए लोगों में 80 फीसदी मुस्लिम ही होंगे. उन्होंने मुख्यमंत्री पर जानबूझकर मुस्लिमों को परेशान करने का आरोप लगाया है.
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