क्या किसी भी अपराध के लिए मुठभेड़ एक पैटर्न यानी अपराधियों से निपटने का यही तरीक़ा होना चाहिए? असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने तो कम से कम ऐसा ही बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यदि अपराधी भागने का प्रयास करते हैं तो इसके लिए मुठभेड़ एक ‘पैटर्न' होना चाहिए। उन्होंने अपराधियों द्वारा गोलीबारी करने के लिए पुलिस से हथियार छीनने पर भी ऐसे ही पैटर्न की बात कही। राज्य में हाल ही में हुई कई मुठभेड़ों को सही ठहराते हुए उन्होंने ऐसा बयान दिया है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने पदभार संभालने के बाद राज्य के कई पुलिस स्टेशनों के सभी प्रभारी अधिकारियों (ओसी) को पहली बार संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा पर कोई भी नरमी नहीं बरते जाने की पैरवी की।
इसी साल मई से कम से कम 12 आरोपी उग्रवादियों या अपराधियों को मुठभेड़ में मार गिराया गया है। राज्य में इस पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप बढ़ गए हैं। इस बीच हिमंत बिस्व सरमा ने हाल में राज्य में मुठभेड़ों की बढ़ती संख्या पर बयान दिया। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, हिमंत बिस्व सरमा ने कहा, ‘जब कोई मुझसे पूछता है कि क्या राज्य में मुठभेड़ का पैटर्न बन गया है तो मैंने कहता हूँ यदि अपराधी पुलिस हिरासत से भागने का प्रयास करता है तो पैटर्न होना चाहिए।’
हालाँकि इस दौरान उन्होंने इतनी सावधानी ज़रूर बरती और कहा कि मुठभेड़ में पैर पर गोली चलानी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘यदि कोई आरोपी सर्विस बंदूक छीनकर भागने की कोशिश करता है या भागता है और यदि वह बलात्कारी है तो क़ानून ऐसे लोगों के पैर में गोली मारने की इजाज़त देता है, न कि छाती में।’
बाद में शायद हिमंत बिस्व सरमा को अपने विवादास्पद बयान का अहसास हुआ। इसीलिए उन्होंने मीडिया से कहा कि पुलिस को ऐसे किसी मुठभेड़ का कोई अधिकार नहीं है।
मुख्यमंत्री ने यहाँ तक कहा कि एक लोकतंत्र में अपराध का फ़ैसला क़ानून से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये मुठभेड़ तब होती हैं जब कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता है।
वैसे, हिमंत बिस्व सरमा अक्सर अपने बयानों को लेकर विवादों में रहे हैं। हाल में उनकी आलोचना तब हुई थी जब उन्होंने एक अपराध में शामिल अभियुक्तों के नामों को ट्विटर पर लिखा था। ये सभी अभियुक्त मुसलमान थे। सवाल उठा था कि कई अपराधों में हिंदू समुदाय के भी लोग पुलिस की पकड़ में आते हैं, तब भी क्या वह उनके नाम इसी तरह ट्विटर पर लिखते हैं?
हाल के दिनों में वह मुसलमानों को दो बच्चे रखने की नसीहत दे रहे हैं। चुनाव से पहले तो हिमंत एआईयूडीएफ़ के अध्यक्ष बदरूद्दीन अज़मल को जिन्ना बता चुके हैं। जीवन में लंबे वक़्त तक कांग्रेस की राजनीति करने वाले सरमा कुछ साल पहले ही बीजेपी में आए हैं। इसके बाद से ही वह मुसलमानों के ख़िलाफ़ विवादित बयान देते रहे हैं।
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