जिस तरह फ़ादर स्टैन स्वामी की ज़मानत याचिका का विरोध एनआईए ने किया और वह बार-बार खारिज की गई, अंत में इस मानवाधिकार कार्यकर्ता की मौत हिरासत में हो गई, उसी तरह एनआईए ने बीमार चल रहीं सुधा भारद्वाज, हैनी बाबू, गौतम नवलखा और दूसरे अभियुक्तों की ज़मानत नहीं होने दी और इन सबकी स्थिति खराब है।
भीमा कोरेगाँव : स्टैन स्वामी की मौत के बाद भी क्या दूसरे अभियुक्त जेल में सड़ते रहेंगे?
- देश
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- 6 Jul, 2021
स्टैन स्वामी की मौत के बाद क्या केंद्र सरकार और उसकी जाँच एजेन्सी दूसरे बीमार अभियुक्तों की ज़मानत होने देगी या उन्हें भी जेल में हमेशा के लिए बीमार रहने और उसी स्थिति में मर जाने के लिए छोड़ देगी?

इसके अलावा ज़्यादातर अभियुक्त उम्रदराज हैं, बीमार हैं, अशक्त हैं और उनकी ज़मानत एक से अधिक बार खारिज हो चुकी है। सवाल यह उठता है कि स्टैन स्वामी की मौत के बाद क्या केंद्र सरकार और उसकी जाँच एजेन्सी दूसरे बीमार अभियुक्तों की ज़मानत होने देगी या उन्हें भी जेल में हमेशा के लिए बीमार रहने और उसी स्थिति में मर जाने के लिए छोड़ देगी?
यह सवाल अहम इसलिए भी है कि एनआईए ने किसी भी अभियुक्त के ख़िलाफ़ चार्जशीट तयशुदा 90 दिनों के अंदर दाखिल नहीं किया, हर बार हर ज़मानत याचिका का विरोध किया, कोरोना जैसी महामारी का भी ख्याल नहीं रखा। इससे, उसकी मंशा पर सवालिया निशान लगता है और इस आशंका को बल मिलता है कि एनआईए जल्दी जाँच पूरी कर सज़ा दिलवाने के बजाय अभियुक्तों को जेल में सड़ा कर मारना चाहती है।