जिस तरह फ़ादर स्टैन स्वामी की ज़मानत याचिका का विरोध एनआईए ने किया और वह बार-बार खारिज की गई, अंत में इस मानवाधिकार कार्यकर्ता की मौत हिरासत में हो गई, उसी तरह एनआईए ने बीमार चल रहीं सुधा भारद्वाज, हैनी बाबू, गौतम नवलखा और दूसरे अभियुक्तों की ज़मानत नहीं होने दी और इन सबकी स्थिति खराब है।