मोदी कैबिनेट 2.0 का पहला विस्तार होने से पहले ही कई राज्यों के राज्यपालों का तबादला किया गया है और 8 राज्यों में नए राज्यपालों की नियुक्ति भी की गई है। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की ओर से इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया है।
केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। गहलोत सामाजिक कल्याण और सशक्तिकरण मंत्रालय का काम देख रहे हैं और राज्यसभा में बीजेपी संसदीय दल के नेता भी हैं।
केंद्र सरकार को 19 जुलाई से शुरू होने जा रहे संसद के मॉनसून सत्र से पहले ही किसी नेता को राज्यसभा के संसदीय दल के नेता की जिम्मेदारी देनी होगी।
इन राज्यपालों का हुआ तबादला
मिज़ोरम के राज्यपाल पीएस श्रीधरन पिल्लई को गोवा, हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य को त्रिपुरा और त्रिपुरा के राज्यपाल रमेश बैस को झारखंड भेजा गया है। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय अब हरियाणा के राज्यपाल का पद संभालेंगे जबकि हरि बाबू कंभमपति मिज़ोरम के राज्यपाल होंगे।
मंगूभाई छगनभाई पटेल को मध्य प्रदेश का और राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर को हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है।
एससी-एसटी व ओबीसी को अहमियत
कहा जा रहा है कि राज्यपालों की नियुक्ति और तबादलों में समाज के सभी वर्ग के लोगों को जगह दी गई है और इसमें एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग के लोग बड़ी संख्या में हैं।
इनमें थावर चंद गहलोत के अलावा राजेंद्र अर्लेकर, सत्यदेव नारायण आर्या और बेबी रानी मौर्य से लेकर फागू चौहान, अनुसूइया उइके, रमैश बैंस सहित कई नाम शामिल हैं।
हरि बाबू कंभमपति बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं और मंगूभाई छगनभाई पटेल गुजरात बीजेपी के नेता हैं जबकि राजेंद्र अर्लेकर गोवा विधानसभा के पूर्व स्पीकर रहे हैं।
8 को हो सकता है विस्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा नए बनने वाले मंत्रियों की सूची को अंतिम रूप दे रहे हैं। माना जा रहा है कि यह विस्तार काफ़ी बड़ा होगा और इसमें 20 नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है जबकि कुछ मंत्रियों की छुट्टी भी हो सकती है। 8 जुलाई को सुबह 10.30 बजे विस्तार होने की बात कही जा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने बीते दिनों कई केंद्रीय मंत्रियों से अलग-अलग मुलाक़ात की है और उनके विभागों की समीक्षा की है।
पांच राज्यों के चुनाव
मई, 2019 में दूसरी बार सरकार बनने के बाद से दो साल का वक़्त गुजर चुका है और अब तक केंद्रीय कैबिनेट का विस्तार नहीं हुआ है। लेकिन पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों को देखते हुए इसकी ज़रूरत समझी जा रही है और मोदी सरकार और बीजेपी व संघ इस काम में जुटे हुए हैं। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में तीन बार कैबिनेट का विस्तार किया गया था।
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में बीजेपी के दो बड़े सहयोगी छिटक कर जा चुके हैं। ये सहयोगी शिव सेना और शिरोमणि अकाली दल हैं। इनके मंत्रियों के इस्तीफ़े के अलावा भी दो दर्जन से ज़्यादा पद खाली पड़े हैं और कुछ वरिष्ठ मंत्रियों के पास ज़्यादा विभाग हैं।
2022 की शुरुआत में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा शामिल हैं। उसके बाद साल के आख़िर में हिमाचल प्रदेश और गुजरात में भी विधानसभा के चुनाव होने हैं। बीजेपी और संघ जानते हैं कि इन राज्यों में फ़तेह हासिल करने के बाद ही 2024 का रास्ता आसान होगा।
ये चेहरे हो सकते हैं शामिल
जिन चेहरों के कैबिनेट में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं, उनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी, एलजेपी सांसद पशुपति पारस का नाम चर्चा में है। एक और सहयोगी दल जेडीयू को भी दो मंत्री पद मिल सकते हैं।
अपनी राय बतायें