असम की बराक घाटी में आबादी का 80% से अधिक हिस्सा बंगालियों का है, जो बांग्लादेश से होने वाले प्रवजन यानी माइग्रेशन के इतिहास से जुड़े हुए हैं। इसकी जनसांख्यिकी को देखते हुए असम विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस 1985 के असम समझौते और नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को लागू करने के अपने रुख से जूझ रहे हैं।
असम: सीएए के विरोध के चलते कांग्रेस को होगा नुकसान?
- असम
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- 19 Mar, 2021
सीएए को संसद में पारित किए जाने पर पिछले साल असम में तगड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ था। लोगों को डर है कि यह असम समझौते को कमजोर कर सकता है और बांग्लादेशी हिंदुओं की नई आमद हो सकती है। बीजेपी ने सीएए के पारित होने को एक उपलब्धि कहा है। लेकिन बराक घाटी में पार्टी बांग्लादेश से आये लोगों की पहचान कर उन्हें बाहर भेजने के मुद्दे पर वह फँसी दिखती है।
भौगोलिक रूप से असम दो अलग-अलग क्षेत्रों में विभाजित है - बराक घाटी और ब्रह्मपुत्र घाटी। बराक घाटी में तीन जिले शामिल हैं - कछार, करीमगंज और हैलाकांदी - मुख्य रूप से बंगाली भाषी आबादी के साथ, जहां हिंदुओं और मुसलिमों की तादाद लगभग बराबर है। इसमें चाय बागानों के श्रमिकों की एक छोटी संख्या और जनजातियों का एक छोटा समूह भी है।