पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम पहले खेल रत्न से हटाया गया था, अब असम के राष्ट्रीय उद्यान से हटेगा। असम की बीजेपी सरकार ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। हिमंत बिस्व सरमा की कैबिनेट ने बुधवार को राजीव गांधी राष्ट्रीय उद्यान का नाम बदलकर ओरंग राष्ट्रीय पार्क करने का प्रस्ताव पास कर लिया।
बीजेपी सरकार के इस फ़ैसले से विवाद बढ़ने के आसार है। कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने बीजेपी सरकार के इस फ़ैसले को पलटने की चेतावनी दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है, 'जब असम में अगली कांग्रेस सरकार बनेगी, तो पहले दिन हम ओरंग राष्ट्रीय उद्यान से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम हटाने के बीजेपी सरकार के फ़ैसले को रद्द कर देंगे। भारतीय संस्कृति हमें आरएसएस के विपरीत शहीदों का सम्मान करना सिखाती है।' इस ट्वीट को असम कांग्रेस ने भी रिट्वीट किया है।
When the next Congress Government is formed in the state of Assam, on the first day we will cancel the decision of the BJP government to remove the name of former Prime Minister Rajiv Gandhi from the Orang National Park. Indian culture teaches us to respect martyrs unlike RSS.
— Gaurav Gogoi (@GauravGogoiAsm) September 1, 2021
इस फ़ैसले को लेकर राज्य सरकार का दावा है कि नाम बदलने के लिए कई संगठनों द्वारा राज्य सरकार से संपर्क किए जाने के बाद यह निर्णय लिया गया है। सरकार ने एक बयान में कहा, 'आदिवासियों और चाय जनजाति समुदाय की मांगों पर संज्ञान लेते हुए कैबिनेट ने राजीव गांधी राष्ट्रीय उद्यान का नाम बदलकर ओरंग राष्ट्रीय उद्यान करने का फ़ैसला किया है।'
बता दें कि इस राष्ट्रीय उद्यान में रॉयल बंगाल टाइगर्स की सबसे अधिक घनी आबादी है। इस उद्यान को भारतीय गैंडों, पिग्मी हॉग, जंगली हाथी और जंगली भैंस जैसे जानवरों के लिए भी जाना जाता है।
यह राष्ट्रीय उद्यान दरांग, उदलगुरी और सोनितपुर ज़िलों में स्थित है। यह उद्यान 79.28 वर्ग किमी के क्षेत्र को कवर करता है। इसे 1985 में एक वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था और फिर 1999 में इसे राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अपग्रेड किया गया था। ओरंग वन्यजीव अभयारण्य का नाम मूल रूप से 1992 में राजीव गांधी के नाम पर रखा गया था।
उद्यान के इसी नाम को अब बदला गया है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, संसदीय मामलों के मंत्री पीयूष हजारिका ने कहा, 'असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा और आदिवासी और चाय-जनजाति समुदाय के प्रमुख सदस्यों के बीच हाल ही में बातचीत के दौरान उन्होंने ओरंग राष्ट्रीय उद्यान से पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी का नाम हटाने की मांग की थी।' उन्होंने कहा, 'चूँकि ओरंग नाम आदिवासी और चाय-जनजाति समुदाय की भावनाओं से जुड़ा है, इसलिए कैबिनेट ने राजीव गांधी ओरंग नेशनल पार्क का नाम बदलकर ओरंग नेशनल पार्क करने का फ़ैसला किया है।'
इससे पहले जब खेल रत्न पुरस्कार से भी राजीव गांधी के नाम को हटाया गया था तो प्रधानमंत्री मोदी ने भी कुछ ऐसा ही तर्क रखा था। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक खेलों का ज़िक्र करते हुए कहा था कि देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का यह आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए।
दशकों बाद टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीमों के शानदार प्रदर्शन के बीच 6 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी ने खेल के क्षेत्र में दिये जाने वाले देश के सबसे बड़े पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार करने की घोषणा कर दी थी।
I have been getting many requests from citizens across India to name the Khel Ratna Award after Major Dhyan Chand. I thank them for their views.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 6, 2021
Respecting their sentiment, the Khel Ratna Award will hereby be called the Major Dhyan Chand Khel Ratna Award!
Jai Hind! pic.twitter.com/zbStlMNHdq
मेजर ध्यानचंद सिंह हॉकी के जादूगर के नाम से मशहूर हैं। ध्यानचंद 16 साल की उम्र में ही भारतीय सेना में शामिल हो गए थे और इसमें भर्ती होने के बाद उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया था। 1928 में एम्सटर्डम ओलंपिक में वह भारत की ओर से सबसे ज़्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी रहे। उस टूर्नामेंट में उन्होंने 14 गोल किए थे। इसके बाद से ही उनको हॉकी के जादूगर के नाम से पुकारा जाने लगा।
मेजर ध्यानचंद के नाम पर किसी को आपत्ति नहीं हो सकती थी, लेकिन जिन हालात में नाम बदले गए उसको लेकर सवाल उठाए गए।
प्रधानमंत्री का यह फ़ैसला ऐसे वक़्त में आया था जब हॉकी की पुरुष और महिला दोनों टीमें शानदारी प्रदर्शन कर रही थी और इसकी देश भर में जमकर तारीफ़ हो रही थी। हॉकी टीम को स्पॉन्सर करने के लिए ओडिशा की नवीन पटनायक सरकार की भी काफ़ी तारीफ़ हो रही थी। तब रिपोर्टें आई थीं कि भारतीय पुरुष हॉकी टीम और भारतीय महिला हॉकी टीम को स्पॉन्सर नहीं मिल रहा था तो मुख्यमंत्री नवीन पटनायक सामने आए और ओडिशा सरकार ने यह ज़िम्मेदारी उठाई। ओडिशा सरकार ने 2018 में ही दोनों टीमों की ज़िम्मेदारी ली और 150 करोड़ रुपए खर्च कर दोनों ही टीमों को पाँच साल के लिए स्पॉन्सर किया।
उसी दौरान ऐसी रिपोर्टें आई थीं कि नरेंद्र मोदी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट में खेलकूद विभाग के बजट में 230.78 करोड़ रुपए की कटौती कर दी थी। पहले बजट में खेलकूद के मद में 2826.92 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया था। लेकिन बाद में इसे कम कर 2596.14 करोड़ रुपए कर दिया गया था। केंद्र सरकार ने 'खेलो इंडिया' के बजट को 890.42 करोड़ रुपए से कम कर 660.41 करोड़ रुपए कर दिया था।
और इसी बीच प्रधानमंत्री मोदी ने खेल रत्न का नाम मेजर ध्यानचंद के नाम पर करने का फ़ैसला किया था।
अपनी राय बतायें