‘आज तो गर्दा उड़ा दिया’, फ़ेसबुक की एक एक लाइन की टिप्पणी पर इस लेखक को जैसी और जितनी प्रतिक्रिया मिली वह बताती है कि विपक्ष के नेता के तौर पर राहुल गांधी का पहला भाषण सफल रहा। राहुल गांधी संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोल रहे थे। उनका भाषण सौ मिनट का हुआ और लोकसभा चुनाव से जीवंत हुए विपक्षी खेमे में इस दौरान जो उत्साह दिखा वह तो उल्लेखनीय था ही, सत्ता पक्ष में जिस किस्म की हड़बड़ी दिखी उससे भी लगता है कि राहुल अपनी रणनीति में सफल हुए। इस भाषण के तत्काल बाद भाजपा की तरह से दो केन्द्रीय मंत्रियों और मुख्य पार्टी प्रवक्ता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपना पक्ष रखा या राहुल की बातों को काटने की कोशिश की। और फिर तो मीडिया मैनेजमेंट और भाजपा का प्रचार सेल तरह-तरह से हमले या राहुल की कमियाँ बताने के अभियान में जुट गया। पर जो जीवंतता संसद के अंदर दिखी वह टीवी चैनलों और अख़बारों में भी झलकी और हर जगह राहुल को वह स्थान और प्रमुखता मिली जो आम तौर पर उनके हिस्से नहीं आती थी। यू-ट्यूब समेत सोशल मीडिया पर तो चुनाव के आसपास से ही राहुल और प्रतिपक्ष को एक किस्म की बढ़त रही है। वहां स्वाभाविक तौर पर इस भाषण ही नहीं, इस सौ मिनट के पूरे तमाशे का शोर रहा।