जम्मू और कश्मीर से लगातार जो ख़बरें आने लगीं ये चिंता से भी ज्यादा डर पैदा करती हैं। डर इस बात का नहीं है कि हमारी फौज के जवानों का हौसला पस्त होगा या हमारी सरकार ही कमजोर पड़ जाएगी और आतंकियों तथा उनके पीछे बैठे उनके पाकिस्तानी आकाओं का हौसला इतना बढ़ जाएगा कि वे हमें लंबे समय तक भारी परेशान कर देंगे। लेकिन जो कुछ हो रहा है वह इतना तो बताता ही है कि आतंकियों ने हथियार नहीं डाला है, पाकिस्तान से घुसपैठ हो रही है, पाक मदद जारी है और हमारे अपने कश्मीरी समाज से आतंकियों को मदद मिले न मिले लेकिन हमारे खुफिया तंत्र को उनसे ज़रूरी सूचनाएं नहीं मिल रही है। ऐसा जाना-बूझकर हो रहा है या फौजी उपस्थिति का दबदबा और खौफ ऐसा करा रहा है, यह मालूम नहीं है। लेकिन खुफिया सूचनाओं में फौजी तंत्र को पर्याप्त फ़ीड नहीं है, तभी हमले हो रहे हैं। कठुआ के बनडोटा गाँव के पास आतंकियों ने जिस तरह घात लगाकर फौजी वाहन पर हमला किया और चार जवानों को मारने के साथ ही अनेक को घायल कर दिया उसमें उनको एक स्थानीय आतंकी के पूरा सहयोग मिलने की बात सामाने आ रही है।
जम्मू-कश्मीर में लगातार आतंकवादी हमले क्यों हो रहे हैं?
- विचार
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- 9 Jul, 2024

आतंकवादियों की गतिविधियों से इस चुनाव का साफ़ रिश्ता है। हमने यह भी देखा है कि लंबा चले लोकसभा चुनाव में भी आतंकी घटनाएँ बढ़ने लगी थीं।
पर उससे ज्यादा चिंता की बात यह है कि इस बार घाटी से भी ज्यादा वारदातें जम्मू इलाके में हो रही हैं। अकेले जून में ही चार बड़ी वारदातें जम्मू इलाके में हो चुकी हैं। बल्कि मई में तो वायु सेना के दो हेलीकॉप्टरों तक को निशाना बनाया गया जिसमें एक जवान शहीद हो गया। कठुआ के ही हीरन नगर में सेदा सोहल गाँव में जब फौज और आतंकियों की मुठभेड़ हुई तो केन्द्रीय रिजर्व पुलिस का एक जवान और दो आतंकी मारे गए थे। बनडोटा में कई जवान घायल हैं और लेख के लिखे जाने तक भी आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई जारी थी। दो जवान गंभीर रूप से घायल थे और उनको बिलावर के अस्पताल में भेजा गया था।