दिल्ली के रामलीला मैदान में पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से पुलिस का गुणगान किया था और वहाँ मौजूद भीड़ से पुलिस की जय-जयकार करवाई थी, उसका मक़सद अब साफ़ हो चुका है। देशभर में और ख़ासतौर पर दिल्ली सहित बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक में पुलिस ने नागरिकता संशोधन क़ानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे नागरिक समाज, विपक्षी नेताओं और कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ एक तरह से युद्ध छेड़ दिया है। पुलिस का सर्वाधिक बर्बर चेहरा उत्तर प्रदेश में देखने को मिल रहा है। उत्तर प्रदेश की पुलिस जो कुछ कर रही है और पुलिस के आला अधिकारी जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल प्रदर्शनकारियों और ख़ासकर अल्पसंख्यक समुदाय के लिए कर रहे हैं, उसे सिर्फ़ और सिर्फ़ गुंडागर्दी ही कहा जा सकता है।
बर्बरता करने वाले पुलिसकर्मियों की पीठ क्यों थपथपा रहे हैं प्रधानमंत्री?
- विश्लेषण
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- 29 Dec, 2019

आन्दोलनकारियों पर ज़्यादती और ज़रूरत से अधिक बल प्रयोग की शिकायतों और सबूतों के बीच उनकी तारीफ़ कर प्रधानमंत्री ने क्या संकेत दिया है?
ब्रिटिश हुक़ूमत के दौरान स्वाधीनता सेनानियों और आम जनता के साथ पुलिस किस निर्ममता से पेश आती थी, उसके क़िस्से अब तक हम या तो किताबों में पढ़ते आए हैं या उस समय जवान रहे बुजुर्गों के मुँह से ही सुनते आए हैं। लेकिन इस समय उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी का शांतिपूर्ण तरीक़ों से हो रहे विरोध का पुलिस जिस बर्बर तरीक़े से दमन कर रही है, उसे देखकर सहज कल्पना की जा सकती है कि औपनिवेशिक काल में हमारे बुजुर्गों ने किस तरह की पुलिस बर्बरता का सामना किया होगा।