लगभग साढ़े चार दशक बाद एक बार फिर भारत का छात्र और नौजवान समुदाय अंगड़ाई लेता और एक बड़े परिवर्तन का वाहक बनता दिख रहा है। नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के रूप में सरकार के दो निहायत ग़ैर-ज़रूरी और संविधान विरोधी क़दमों के ख़िलाफ़ देश के पंद्रह से भी ज्यादा राज्यों के विभिन्न शहरों में बीस से भी अधिक बड़े विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा से संबंधित प्रतिष्ठित संस्थानों के छात्र सड़कों पर निकल आए हैं।