भारतीय राजनीति में फ्रीबीज यानी मुफ्त की रेवड़ियों का लालच दिखाकर मतदाताओं को लुभाने की परंपरा कोई नई नहीं है। लेकिन हाल के दिनों में यह सवाल तेजी से उठ रहा है कि क्या ये फ्रीबीज वादे सिर्फ चुनावी जुमले हैं, जो सत्ता हासिल करने के बाद हवा में गायब हो जाते हैं? महाराष्ट्र की चर्चित ‘लाडकी बहिन योजना’ इसकी ताज़ा मिसाल बनकर सामने आई है। इस योजना का बजट 2025-26 में 10 हज़ार करोड़ रुपये कम कर दिया गया, राशि बढ़ाने की बात तो दूर, लाभार्थियों के नाम तक काटे जा रहे हैं। आखिर क्या वजह है कि वादों और हकीकत में इतना बड़ा फर्क दिख रहा है?
लाडकी बहिन योजना: मुफ्त के वादे- सच या चुनावी जुमला?
- विश्लेषण
- |
- |
- 11 Mar, 2025
लाडकी बहिन योजना के तहत किए गए मुफ्त सुविधाओं के वादे कितने वास्तविक हैं? क्या यह सशक्तिकरण की दिशा में कदम है या महज चुनावी रणनीति?

महाराष्ट्र में महायुति सरकार ने 2024 के विधानसभा चुनावों से पहले ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना’ की शुरुआत की थी। इसका मक़सद आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये की सहायता देना था। चुनावी प्रचार में इसे और आकर्षक बनाते हुए सरकार ने वादा किया था कि राशि को बढ़ाकर 2100 रुपये किया जाएगा। इस योजना को लेकर क़रीब 200 करोड़ रुपये प्रचार पर ख़र्च किए गए, और इसे सरकार की बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश किया गया। नतीजों में महायुति की जीत में इस योजना की भूमिका को भी श्रेय दिया गया। लेकिन अब, जब वादों को पूरा करने की बारी आई, तो तस्वीर उलट गई।
- Mahayuti
- Freebies
- Ladki Bahin Yojana