जम्मू और कश्मीर में चुनाव की घोषणा के बाद की स्तरों वाली चुनौतियां बढ़ जरूर गई हैं लेकिन ये कभी समाप्त हो गई थीं, यह नहीं कहा जा सकता। पर इसके साथ ही यह कहना भी जरूरी है कि इन चुनौतियों के डर के बीच भी राज्य में चुनाव कराने के जो लाभ हैं वे सबसे ऊपर हैं और किसी भी खतरे या चुनौती के नाम पर उसको अनिश्चित काल के लिए रोका नहीं जाना चाहिए था। बल्कि चुनाव और पहले हो गए होते और निष्पक्ष ढंग से होते (या अभी भी होंगे) तो लाभ और ज्यादा होता।