बजट से जुड़ा हलवा बाँटने वाले और हलवा खाने के रुपक के सहारे बात को जातिगत जनगणना तक ले जाने वाले राहुल गांधी ने अपनी राजनीति चल दी। अब इसका कितने लोगों पर कैसा असर हो रहा है इसका हिसाब अलग-अलग हो सकता है, लेकिन भाजपा पर इसका प्रभाव काफी पड़ा है। उसकी तरफ़ से राजनीति को हिन्दू-मुसलमान लाइन पर ले जाने का प्रयास बंद नहीं हुआ है लेकिन अब वह हर बात में जाति के सवाल को महत्व देने लगी है और राहुल गांधी तथा कांग्रेस को ही नहीं समाजवादी पार्टी और राजद को ही पिछड़ा और दलित विरोधी बताने का प्रयास भी कर रही है। लेकिन निश्चित रूप से वह जातिगत जनगणना के खिलाफ है और इसकी कोई उपयोगिता नहीं मानती-भले उसने बिहार में हुई जातिगत जनगणना का समर्थन किया था। लेकिन राहुल गांधी को अपनी इस राजनैतिक रणनीति या भाजपा की घेराबंदी में एक बार भी याद नहीं आया कि देश में वह सामान्य जनगणना भी नहीं हुई है जो विश्वयुद्ध के दौरान भी नहीं रुकी थी। और सरकार ने जिस करोना के नाम पर जनगणना रोकी थी (हालांकि दुनिया में ऐसा सिर्फ दो अन्य देशों में ही हुआ था) उसे गए जमाना हो गया है और अब आम चुनाव समेत सब काम रूटीन पर लौट आया है।
जनगणना से क्यों डर रही है सरकार?
- विचार
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- 30 Jul, 2024

जिस जनगणना को विश्व युद्ध के दौरान भी रोका नहीं जा सका है, उसको आख़िर अब तक क्यों नहीं कराया गया? क्या विपक्ष के नेता के तौर पर इसको उठाने की ज़िम्मेदारी राहुल गांधी की नहीं है?
विपक्ष का नेता होने के चलते राहुल को यह पूछने की ज़रूरत थी क्योंकि इस बजट में भी जनगणना के लिए धन का प्रावधान नहीं हुआ है- यह रक़म पहले से कम कर दी गई है। और तब भले गृहराज्य मंत्री ने सदन में और गृह मंत्री ने बाहर कोरोना के चलते जनगणना रोकने और ज़्यादा व्यापक सवालों के साथ जनगणना कराने की बात कही हो, अब तो सरकार के अधिकारी कहने लगे हैं कि 1948 के जनगणना क़ानून में इस बात का कोई प्रावधान नहीं है कि हर दस साल पर अनिवार्य रूप से जनगणना हो ही। संभवत: ऐसा है भी लेकिन पिछले डेढ़ सौ साल की जनगणना की परंपरा और उसकी रोजाना के काम की उपयोगिता ने हमारे लिए क़ानून के पन्ने पलटने की ज़रूरत नहीं छोड़ी थी। चुनाव के क्षेत्र निर्धारण से लेकर सरकारी नीतियाँ बनाने और संसाधनों के आवंटन तथा आगे होने वाले हर सर्वेक्षण में जनगणना के आँकड़ों को आधार बनाने की आदत हमारे मन मस्तिष्क में इस तरह समा गई है कि हम सोच भी नहीं सकते कि अच्छे दिन लाने और देश को विकसित दुनिया की बराबरी पर लाने और विश्व गुरु बनाने के दावे करने वाली सरकार जनगणना रोक देगी।