18 जुलाई को ही बेंगलुरु में 26 विपक्षी दलों ने ‘इंडिया’ नाम के गठबंधन के तहत लोकसभा का चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। गठबंधन में शामिल दलों के बीच सीटों के बँटवारे का काम आसान नहीं माना जा रहा। विशेष रूप से उन राज्यों में सीटों के बंटवारे में कई तरह की अड़चनें आएंगी जहां कांग्रेस और उसके सहयोगी या संभावित सहयोगियों के बीच हितों का सीधा टकराव है। आम आदमी पार्टी ने दो राज्यों- दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस को हराकर सत्ता हासिल की है। तीसरे राज्य गुजरात में वो मजबूत राजनीतिक ताक़त बनकर उभरी है। लिहाजा अगले लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे में इन दोनों के बीच ही बड़ा पेंच फंसने वाला है।
टेढ़ी खीर है कांग्रेस और ‘आप’ के बीच लोकसभा सीटों का बँटवारा
- विश्लेषण
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- 25 Jul, 2023

क्या आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच लोकसभा चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा इतना आसान काम होगा? जानिए, इसके लिए कांग्रेस के सामने कितनी बड़ी मुसीबत आ सकती है।
प्रदेश इकाइयों का विरोध
दिल्ली, पंजाब और गुजरात में कांग्रेस की स्थानीय इकाइयाँ आम आदमी पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन करने के हक में नहीं हैं। तीनों ही राज्यों में प्रदेश कमेटियों ने पार्टी आलाकमान को जमीनी हालात से अवगत करा दिया है। लेकिन अंतिम फ़ैसला आलाकमान पर छोड़ दिया है। कांग्रेस आलाकमान जल्द ही तीनों राज्यों की ईकाइयों के साथ विचार विमर्श के लिए बैठक करेगा। अगले महीने महाराष्ट्र में होने वाली विपक्षी दलों के नए गठबंधन ‘इंडिया’ बैठक से पहले ये बैठकें होने के आसार हैं। दरअसल ‘इंडिया’ की अगली बैठक में गठबंधन के सहयोगी दलों के बीच सीटों के बंटवारे के फॉर्मूले पर चर्चा हो सकती है। लिहाजा कांग्रेस के लिए होमवर्क करना ज़रूरी हो जाता है।