आनंद तेलतुमडे की गिरफ़्तारी चुनाव जीतने के लिए हर हथकंडा अपनाने को तैयार सरकार की कायर कोशिश है या फिर वाकई में देश में अशांति फैलाने वाले एक ख़तरनाक नक्सली की साजिश के अंजाम होने से रोकने का प्रयास? देर रात साढे तीन बजे आनंद तेलतुमडे को मुंबई एयरपोर्ट पर गिरफ़्तार कर लिया गया। उनकी ज़मानत याचिका शुक्रवार को स्थानीय अदालत ने ख़ारिज की थी। इसके पहले 14 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगाँव में उनके ख़िलाफ़ दायर एफआईआर को निरस्त करने से इनकार कर दिया था। चार हफ़्ते के लिए इनकी गिरफ़्तारी पर रोक लगा दी थी। पुलिस एक महीने का भी इंतज़ार नहीं कर सकी।

दलित चिंतक और मैनेजमेंट गुरु आनंद तेलतुमडे को रात के तीन बजे गिरफ़्तार कर नरेंद्र मोदी सरकार आख़िर क्या संकेत देना चाहती है?
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।