उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बीएसपी के बीच चुनावी गठबंधन के एलान के साथ ही यह साफ़ हो गया है कि कांग्रेस इस गठबंधन का हिस्सा नहीं होगी। सपा-बसपा की साझा प्रेस कॉन्फ़्रेंस की शुरुआत ही मायावती ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की नींद उड़ाने वाली बताकर की थी। कॉन्फ़्रेंस ख़त्म होते-होते इससे कांग्रेस की भी नींद उड़ गई। मायावती ने जिस तरह बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस पर तीखे हमले किए, उससे चुनाव के बाद की परिस्थितियों में इस गठबंधन के कांग्रेस को समर्थन देने में भी आनाकानी करने की संभावनाएँ बढ़ गई हैं।
सपा-बसपा से 'ठुकराई' गई कांग्रेस अब छोटे दलों के सहारे
- विश्लेषण
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- 24 Jan, 2019

सपा-बसपा के गठबंधन के एलान के बाद अब कांग्रेस उत्तर प्रदेश की छोटी पार्टियों को साथ लेकर एक नए गठबंधन के साथ चुनावी समर में कूदने की तैयारी कर रही है।
‘प्लान बी’ पर काम कर रही कांग्रेस
सपा-बसपा के गठबंधन के एलान के बाद अब कांग्रेस अपने ‘प्लान बी’ को अमली जामा पहनाने में जुट गई है। कांग्रेस इस गठबंधन में जगह पाने से छूट गई छोटी पार्टियों को साथ लेकर एक नए गठबंधन के साथ चुनावी समर में कूदने की तैयारी कर रही है।
साझा प्रेस कॉन्फ़्रेंस के फ़ौरन बाद कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने ‘सत्य हिंदी’ से फ़ोन पर बात करते हुए कहा कि कांग्रेस, रालोद और अन्य छोटी पार्टियों को साथ लेकर एक मजबूत गठबंधन बनाएगी और 2009 की तरह उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी।
सपा-बसपा के गठबंधन में दोनों पार्टियाँ 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। मायावती ने कहा कि हमने 2 सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ी हैं और दो अन्य सहयोगी दलों के लिए छोड़ने की बात कही गई है। अन्य सहयोगी दलों में पीस पार्टी और निषाद पार्टी के लिए एक-एक सीट हो सकती है। हालाँकि ये दोनों पार्टियाँ अपने लिए कम से कम दो-दो सीटें माँग रही हैं।
कांग्रेस के सूत्रों का दावा है कि अखिलेश और मायावती के ज़्यादा सीटों पर लड़ने की वजह से छोटी पार्टियाँ उसके साथ आ सकती हैं। कांग्रेस के साथ आने पर उन्हें पूरा सम्मान और ज़्यादा सीटें मिलेंगी। इसलिए कांग्रेस का गठबंधन ज़्यादा मजबूत होगा।