दिल्ली में दो दिन चली बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक इस उम्मीद के साथ ख़त्म हुई के सवर्णों के लिए 10% आरक्षण और राम मंदिर के मुद्दे पर हो रहा ध्रुवीकरण उसे फिर से केंद्र की सत्ता में वापस लाएगा। हालाँकि कार्यकारिणी की बैठक में पास किए गए राजनीतिक प्रस्ताव में अयोध्या मुद्दे का ज़िक्र नहीं है। इसमें सिर्फ़ पिछले 5 साल में मोदी सरकार के कामकाज का बखान है। अमित शाह ने जिस अंदाज़ में अपने उद्घाटन भाषण में अयोध्या मुद्दे को उठाया उससे बीजेपी कार्यकर्ताओं में साफ़ तौर पर संदेश गया है कि अगर अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला राम मंदिर के हक़ में नहीं आता है तो सरकार अध्यादेश लाने से नहीं चूकेगी।
ग़ौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के समापन भाषण में अयोध्या मुद्दे का ज़िक्र नहीं किया। इस साल के पहले दिन एक न्यूज़ एजेंसी को दिए अपने इंटरव्यू में उन्होंने यह बात साफ़ कर दी थी कि सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आने से पहले सरकार का राम मंदिर निर्माण को लेकर अध्यादेश लाने या क़ानून बनाने का कोई इरादा नहीं है। ऐसा लगता है कि रणनीतिक तरीक़े से मोदी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अयोध्या मुद्दा नहीं छुआ। जबकि इस पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह मुखर होकर बोले। शाह ने अपने उद्घाटन भाषण में ज़ोरदार तरीक़े से अयोध्या के मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा, 'भारतीय जनता पार्टी चाहती है कि उसी स्थान पर भव्य राम मंदिर का निर्माण हो, और यह जल्द से जल्द हो। मैं आश्वस्त करता हूँ कि संवैधानिक तरीक़े से भव्य राम मंदिर बनाने के लिए हम कटिबद्ध थे, हैं और आगे भी रहेंगे।' अमित शाह ने आगे कहा, 'सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर पर सुनवाई चल रही है। हम जल्द सुनवाई के लिए प्रयास कर रहे हैं। लेकिन कांग्रेस एंड कंपनी सुनवाई को हटाने के लिए लगातार प्रयत्न कर रही है। कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को टालने के लिए दलीलें दी हैं।' अमित शाह ने जिस अंदाज़ में अपने भाषण में इस मुद्दे का ज़िक्र किया उससे साफ़ है कि बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं को इस मुद्दे पर आक्रामक करना चाहती है। ऐसा कहकर अमित शाह ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को साफ़ संदेश दे दिया है कि समाज में राम मंदिर के निर्माण में हो रही देरी के लिए कांग्रेस को ही ज़िम्मेदार ठहराया जाए।
पार्टी कार्यकर्ताओं को मोदी का मंत्र
पहली बार बीजेपी ने इतने बड़े स्तर पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की है। इसमें देशभर से मंडल स्तर के कार्यकर्ताओं को बुलाया गया। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुई इस राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में तमाम कार्यकर्ताओं को चुनाव में जीत का मंत्र देकर वापस भेजा है। मंत्र यह है कि मोदी सरकार के पाँच साल में ग़रीबों, महिलाओं और मध्यम वर्ग के लिए किए गए काम को अभी से जनता के बीच पहुँचाने में जुट जाएँ। बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पहली बार प्रधानमंत्री कार्यालय भी बनाया गया और बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए भी अलग से दफ्तर बनाया गया। अपने भाषण में ख़ुद प्रधानमंत्री मोदी इसे लेकर भावुक हो गए और बोले कि कभी दो कमरों से चलने वाली और दो सांसद जीतने वाली पार्टी इतने भव्य स्तर पर कार्यकारिणी की बैठक करेगी, शायद किसी ने सोचा नहीं होगा।
मज़बूत या मजबूर सरकार?
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पास किए गए राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया है कि देश के सामने दो विकल्प हैं। एक यह कि वह नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए की मज़बूत सरकार चुनें या फिर किसी और गठबंधन वाली कमज़ोर सरकार को चुने। राजनीति प्रस्ताव में कहा गया है कि देश के विकास के लिए मजबूत सरकार का होना बहुत ज़रूरी है। मजबूर सरकार देश का विकास नहीं कर सकती। और इससे पहले देश कई बार इस तरह के प्रयोग देख चुका है। इशारा साफ़ है कि उत्तर प्रदेश में हुए समाजवादी पार्टी और बीएसपी गठबंधन के साथ कांग्रेस के नेतृत्व में चल रही महागठबंधन बनाने की कोशिशों पर चोट की गई है। इससे यह साफ़ लगता है कि इन गठबंधनों से बीजेपी को ख़तरा नज़र आ रहा है। ख़ासकर, उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के गठबंधन से उसे ख़ासे नुक़सान की आशंका है।
पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को आगाह किया है कि जनता के बीच ज़्यादा से ज़्यादा इस बात को उठाया जाए कि नरेंद्र मोदी के गठबंधन वाले एनडीए के अलावा कोई भी गठबंधन देश में मज़बूत सरकार नहीं दे सकता।
राजनीतिक प्रस्ताव में 12 बिंदुओं में मोदी सरकार के पाँच साल के कामकाज को समेट कर बताया गया है कि सरकार ने देश के हर तबक़े के विकास के लिए काम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
उज्ज्वला योजना पर ख़ुद की तारीफ़
बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में दूसरा प्रस्ताव ग़रीब और मध्यम वर्ग के लोगों को मोदी सरकार की तरफ़ से पहुँचाए गए फ़ायदे को लेकर पास किया गया है। इस प्रस्ताव में विस्तार से इस बात को समझाया गया है कि कैसे मोदी सरकार ने गाँव-देहात में रहने वाली महिलाओं को उज्ज्वला योजना के तहत गैस का सिलेंडर देकर उनकी परेशानियाँ दूर कीं। इसी प्रस्ताव में सवर्णों को 10% आरक्षण देकर इस तबक़े के ग़रीबों को सीधा फ़ायदा पहुँचाने का ज़िक्र किया गया है। अमित शाह ने अपने उद्घाटन भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर किए गए इस फ़ैसले को क्रांतिकारी कदम बताया। बीजेपी को उम्मीद है कि मोदी सरकार का यह फ़ैसला उसके परंपरागत सवर्ण वोट बैंक को और मज़बूती के साथ उससे जोड़े रखेगा। आने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी इसे वोटों के रूप में भुनाने में भी कामयाब रहेगी। इस प्रस्ताव में ख़ासतौर पर इस बात पर भी ज़ोर दिया गया है कि आरक्षण से मुसलमान, सिख, ईसाई और पारसी धर्म के मानने वाले लोगों को भी फ़ायदा मिलेगा। बीजेपी ने इसे 'सबका साथ, सबका विकास' नारे के साथ जोड़ कर यह साबित करने की कोशिश की है कि मोदी सरकार समाज के हर वर्ग के लिए काम कर रही है।
घोटालों का भी ज़िक्र
पिछले कुछ दिनों से मोदी सरकार पर रफ़ाल विमानों की ख़रीद में भ्रष्टाचार करने के आरोप लग रहे हैं। हाल ही में पाँच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में तीन राज्यों में बीजेपी की हार के बाद कांग्रेस का ग्राफ़ तेज़ी से बढ़ता नज़र आ रहा है। जनता का रुख़ कहीं कांग्रेस की तरफ़ ना हो जाए इसकी काट के लिए प्रधानमंत्री मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत तमाम बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस के शासनकाल में हुए घोटालों का ज़िक्र किया।
- बीजेपी नेताओं ने नेशनल हेराल्ड अख़बार के मामले में सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी पर लगे भ्रष्टाचार के निजी आरोपों का ज़िक्र करके यह समझाने की कोशिश की कि अगर अगली बार बीजेपी की सरकार नहीं बनी तो फिर से कांग्रेस सत्ता में आएगी और सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी के इशारे पर चलने वाली सरकार के दौरान बड़े घोटाले होंगे।
पीएम मोदी ने कांग्रेस पर सीधा हमला करते हुए कहा कि देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी सरकार पर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा है और हम इस बात पर गर्व कर सकते हैं। इस कार्यकारिणी की बैठक में बीजेपी ने अटल बिहारी वाजपेयी के नाम को भी भुनाने की पूरी कोशिश की गई। मोदी ने कहा कि अटल जी हमारे लिए जो छोड़ गए हैं हमें उसे मज़बूत करना है। उन्होंने कहा कि आज बीजेपी केंद्र में और 16 राज्यों में सरकार चला रही है कुछ राज्यों में वह गठबंधन में है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत में 2004 से लेकर 2014 तक 10 साल घोटालों और भ्रष्टाचार के आरोपों में गँवा दिए। उन्होंने यह मुद्दा उठाया कि अगर सरदार वल्लभ भाई पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री होते तो देश की तस्वीर और तक़दीर कुछ और होती।
‘आतंकियों को मौक़ा नहीं दिया’
बीजेपी के तमाम नेताओं ने कांग्रेस और दूसरी सरकारों पर हमले जारी रखे। वहीं 2019 में जनता को अपनी तरफ़ खींचने के लिए अपने कार्यकर्ताओं को अपने-अपने हिसाब से मंत्र दिए। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि हमारी सरकार आने से पहले वाली सरकारों में भ्रष्टाचार और ख़राब नीतियाँ सरकार का अहम हिस्सा थी। जब से हम सत्ता में आए हैं हमने सुशासन और व्यापार सुगमता को बढ़ावा दिया है। हमने अपने सारे वादे पूरे करने की कोशिश की है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 2004 के बाद से अब तक मोदी सरकार ने आतंकियों को शांति भंग करने का एक भी मौक़ा नहीं दिया। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमने डेढ़ साल में धर्म और जाति को एक किनारे रखते हुए 18 लाख ग़रीबों को घर दिया है। जबकि समाजवादी पार्टी की सरकार पाँच साल में सिर्फ़ में 63000 घर ही बनवा पाई थी।
‘नतीजे आने तक चैन से नहीं बैठें’
ग़ौरतलब है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए 17 कमेटियाँ बनाई हैंं। इसके अलावा उन्होंने राज्यों के प्रभारियों और सह प्रभारियों को व्यापारियों को भी चुनाव में अहम ज़िम्मेदारी सौंपी है। लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी की यह आखिरी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक है। इसमें देश भर से आए तमाम कार्यकर्ताओं को यह कहकर चुनाव में पूरी ताक़त झोंकने के लिए प्रेरित किया गया है कि केंद्र में बीजेपी की सत्ता की वापसी के लिए उन्हें अभी से जनता के बीच पार्टी की विचारधारा और मोदी सरकार के कार्यक्रमों को लेकर चले जाना है और चुनाव के नतीजे आने तक चैन से नहीं बैठना है।
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