दिल्ली में दो दिन चली बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक इस उम्मीद के साथ ख़त्म हुई के सवर्णों के लिए 10% आरक्षण और राम मंदिर के मुद्दे पर हो रहा ध्रुवीकरण उसे फिर से केंद्र की सत्ता में वापस लाएगा। हालाँकि कार्यकारिणी की बैठक में पास किए गए राजनीतिक प्रस्ताव में अयोध्या मुद्दे का ज़िक्र नहीं है। इसमें सिर्फ़ पिछले 5 साल में मोदी सरकार के कामकाज का बखान है। अमित शाह ने जिस अंदाज़ में अपने उद्घाटन भाषण में अयोध्या मुद्दे को उठाया उससे बीजेपी कार्यकर्ताओं में साफ़ तौर पर संदेश गया है कि अगर अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला राम मंदिर के हक़ में नहीं आता है तो सरकार अध्यादेश लाने से नहीं चूकेगी।