पत्रकार रोहित सरदाना का शुक्रवार को निधन हो गया। राणा यशवंत लिखते हैं- बहुत तकलीफ है। बहुत। और बहुत डर भी लग रहा है। बहुत। तकलीफ इसलिए कि एक खुशदिल, बेहतरीन, बेहद सफल और नौजवान दोस्त ऐसे झटके से निकल गया!
इस समय कोरोना से जूझ रहे लोगों को बचाने का जितना काम पत्रकार कर रहे हैं, उतना शायद ही कोई कर रहा होगा। इस देश मे पिछले कुछ वर्षों से पत्रकारिता औऱ पत्रकार दोनों बदनाम रहे हैं। यह पूरी संस्था ही शक और संदेह में घिरी रही है।
ऑक्सीजन सिलेंडर से लेकर रेमडेसिविर इंजेक्शन तक की भयानक कालाबाजारी है। लोग लाख लाख रुपए में रेमडेसिविर खरीद रहे हैं और ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए दर-दर भटक रहे हैं। ऐसे में लोग एक-दूसरे का सहयोग कर रहे हैं।
कोरोना संक्रमण के मामले इतने बढ़ गए हैं कि अस्पतालों में बेडों की कमी है, आक्सीज़न व ज़रूरी दवाएँ कम पड़ने लगी हैं। जानिए, ऐसे में लोग कैसे कर रहे हैं मदद।
कोरोना के इस बार के हमले में बचाव का कोई हथियार टिक नहीं रहा। स्वास्थ्य व्यवस्था का खुद ही दम निकल चुका है। जैसे तेज़ तूफान में आदमी दोनों हाथों से आँख-नाक को बचाते हुए सिर दबाए रहता है, कुछ देखने की हिम्मत नहीं जुटा पाता, सरकारों का हाल वैसा ही है।