इसी साल जुलाई में एक छोटी सी खबर आई, जिसमें कहा गया था खालिस्तानी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू ने एक घातक कार दुर्घटना में जख्मी हो गया है। पन्नू के सहयोगियों को यह स्पष्ट करना पड़ा कि वो वास्तव में जीवित है। जून में कनाडा में खालिस्तानी नेता और भारत में आतंकी नामजद हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद सिख संगठन बहुत उत्तेजित थे। लेकिन अब जो खबर पन्नू के बारे में आ रही है वो चौंकाने वाली है। गुरपतवंत सिंह के पास अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता है। अमेरिकी जांच एजेंसियों ने निखिल गुप्ता नामक भारतीय को पकड़ा है जिस पर आरोप है कि भारतीय अधिकारी ने गुप्ता के जरिए अंडर कवर एजेंट भाड़े पर लिए थे और गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की गहरी साजिश अमेरिका में रची जा रही थी। कथित भारतीय अधिकारी द्वारा भेजे गए संदेश पकड़े गए हैं, जिनसे इस साजिश का पता चला। सभी दस्तावेज अमेरिका की मैनहट्टन फेडरल कोर्ट में जमा कराए गए हैं। लोग गुरपतवंत सिंह पन्नू के बारे में ज्यादा जानना चाहते हैं।
यहां यह बताना जरूरी है कि पन्नू और कनाडा में मारे गए हरदीप सिंह निज्जर का मामला कहीं न कहीं आपस में जुड़ा हुआ है। अमेरिकी जांच एजेंसियों ने जो संदेश पकड़े हैं, उनमें भाड़े के हत्यारों को कई टारगेट दिए गए थे। अमेरिका में उन्हें न्यू यॉर्क और कैलिफोर्निया में टारगेट दिए गए थे।
पन्नू के निजी जीवन की कहानी दिलचस्प है। पंजाब में अमृतसर के पास खानकोट गाँव में जन्मे और पले-बढ़े गुरपतवंत सिंह पन्नू एक साधारण पृष्ठभूमि से हैं। उनके पिता, मोहिंदर सिंह, पहले पंजाब राज्य कृषि मार्केटिंग बोर्ड के लिए काम करते थे, जबकि उनकी माँ का नाम अमरजीत कौर है। पन्नू का एक भाई भी है जिसका नाम मगवंत सिंह पन्नू है।
हालाँकि पन्नू को उसके गाँव में लोग ज्याजा नहीं जानते। लेकिन उसके परिवार के पास गाँव में खेती की कीमती जमीन, एक स्कूल और एक कॉलेज सहित पर्याप्त संपत्ति है। 1947 में भारत-पाक विभाजन के दौरान यह परिवार पाकिस्तान से आया था। उसके बाद अपनी मेहनत से यहां काफी संपत्ति बनाई।
गुरपतवंत सिंह पन्नू का नाम तब सामने आया जब कुछ सिख युवकों ने सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) बनाई और कानूनी सलाहकार और प्रवक्ता के रूप में पन्नू को नियुक्त किया। एसएफजे ने अपने घोषणापत्र में कहा कि उनकी संस्था का मकसद भारत में अलग खालिस्तान देश बनाना है। पन्नू के बयानों ने सिर्फ पंजाब में ही नहीं पूरे भारत में हलचल मचा दी। भारत के कई शहरों में खालिस्तानी नारे दिखाई देने लगे और उसके नीचे एसएफजे लिखा होगा। इन सारी करतूतों के पीछे एक ही नाम बार-बार सामने आ रहा था, वो था पन्नू का नाम।
भारत में पन्नू के खिलाफ केस दर्ज हुए। 2020 में, भारत सरकार ने उसे आतंकवादी के रूप में नामजद किया, और उसकी खेती की जमीन को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 51 ए के तहत जब्त कर लिया गया। गुरपतवंत सिंह पन्नू वर्तमान में भारत में राजद्रोह के तीन आरोपों सहित 22 आपराधिक मामलों का सामना कर रहा है।
इस दौरान एक दिलचस्प बात यह हुई कि अक्टूबर 2022 में, इंटरपोल ने आतंकवाद के आरोप में गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस के लिए भारत के दूसरे अनुरोध को खारिज कर दिया। इंटरपोल ने कहा कि भारत पन्नू के बारे में अपर्याप्त जानकारी दे रहा है। ऐसे में नोटिस जारी नहीं किया जा सकता।
पन्नू के खिलाफ 30 सितंबर को अहमदाबाद में एक एफआईआर दर्ज की गई। जिसमें 5 अक्टूबर से शुरू होने वाले आईसीसी क्रिकेट विश्व कप 2023 से जुड़ी उसकी धमकियों को आधार बनाया गया था। एफआईआर में अहमदाबाद पुलिस की साइबर क्राइम ब्रांच ने कहा कि कई लोगों को एक विदेशी नंबर से भेजे गए पहले से रिकॉर्ड किए गए वॉयस मैसेज के जरिए प्रतिबंधित संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' के प्रमुख से धमकियां मिलीं।
पन्नू की हत्या की कोशिश के आरोप में जिस निखिल गुप्ता का नाम आया है, गुजरात पुलिस ने गुप्ता को फोन किए थे। यह बात अमेरिकी जांच एजेंसियों द्वारा पकड़े गए संदेशों से पता चलती है। गुप्ता को जो भारतीय अधिकारी CC-1 बनकर फोन करता था, उसने एक संदेश में गुप्ता से कहा था कि अब गुजरात पुलिस की कॉल उसके पास नहीं आएगी, कोई उसे परेशान नहीं करेगा। इस तरह पन्नू की हत्या की कथित साजिश का गुजरात कनेक्शन अभी पूरी तौर पर साफ नहीं है लेकिन अगर ठीक से जांच हुई तो पन्नू, निखिल गुप्ता और गुजरात के आपसी जुड़ाव का रहस्य खुल जाएगा।
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