चीन के बाद 114 देशों में कोहराम मचाने वाले कोरोना वायरस ( कोविड-19 ) ने अपने उद्गम को लेकर दुनिया भर के सामरिक हलकों में गहन बहस छेड़ दी है। क्या यह कृत्रिम तौर से पैदा किया गया या यह प्राकृतिक तौर से पैदा हुआ?
चीन ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों के जवाब में कहा था कि यह प्रकृति की देन है। लेकिन उसने ख़ुद ही अपने पुराने बयान को काटते हुए बीते गुरुवार को कहा कि कोरोना वायरस को अमेरिकी सेना ने चीन के ऊहान शहर में मानव शरीर पर असर देखने के लिये भेजा। यानी चीन का मानना है कि इसका विकास मानव ने किया है।
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अमेरिका ने चीन में छोड़ा वायरस?
वास्तव में कोरोना वायरस का उद्गम कहाँ हुआ, इस बात को लेकर चीन का नाम इशारों में लिये जाने के बाद चीन ने पलटवार करते हुए सीधा अमेरिका पर आरोप लगाया कि अमेरिकी सेना ने ही चीन के ऊहान शहर में इसके विषाणु छोडे हैं।इसके पहले ईरान के पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने चीन का प्रत्यक्ष नाम लिये बिना कहा है कि कोविड-19 एक जैव हथियार है, जो एक सैन्य प्रयोगशाला में पैदा किया गया। उन्होंने कहा कि अब दुनिया के सामने साफ़ हो चुका है कि म्यूटेट किया हुआ कोरोना वायरस प्रयोगशाला में पैदा हुआ।
क्या कहना है इज़रायल-अमेरिका का?
इसके पहले इज़रायली जैव वैज्ञानिक ने भी दुनिया का ध्यान इस ओर आकर्षित किया था, लेकिन तब इसे सामरिक हलक़ों में अमेरिकी सेनेटर टॉम कॉटन ने भी इसी आशय का दावा किया था।लेकिन अब अमेरिका के इलिनॉय विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय क़ानून के प्रोफेसर फ्रैंसिस बोयल ने कोविड-19 को ‘ऊहान कोरोना वायरस’ की संज्ञा देते हुए कहा कि इसे ऊहान इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलोजी में विकसित किया गया। इसी आशय का आरोप इजरायली जैव वैज्ञानिक लगा चुके हैं।
वास्तव में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो द्वारा कोविड-19 को ऊहान वायरस का नाम ले कर बयान देने पर चीन चिढ़ गया। उसने जवाब में कह दिया कि ऊहान में अमेरिकी सेना ने ही इस वायरस छोड़ा था।
ट्रंप का आरोप
इसके पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने बीते बुधवार को टेलीविज़न पर राष्ट्र के नाम संबोधन में वायरस को चीन से निकला हुआ बताया तो भी चीन नाराज़ हो गया कि वायरस का नाम चीन से जोड़ कर क्यों बताया जा रहा है।विश्व स्वास्थ्य संगठन ने संक्रामक बीमारियों का नाम किसी ख़ास समूह के आधार पर रखने के ख़ि़लाफ चेतावनी दी है क्यों कि इससे जातीय प्रतिक्रिया का डर पैदा होता है। लेकिन इसके बावजूद अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने अपने बयान में जब यह कह दिया कि वायरस का उद्गम ऊहान में हुआ तो चीन ने इसे अत्यधिक अनैतिक और ग़ैरज़िम्मेदार बता दिया।
चीन का जवाब
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ लीच्येन ने विरोध जाहिर करते हुए बिना कोई सबूत के कहा कि हो सकता है कि अमेरिकी सेना ने ही ऊहान में वायरस पहुँचाया हो। उन्होंने कहा कि अमेरिका को दुनिया के सामने पारदर्शी होना होगा और जवाब देना होगा।हालाँकि चीनी सोशल मीडिया में कोरोना वायरस के ऊहान से जुड़े होने के बारे में सभी टिप्पणियों को सेंसर कर दिया जाता है, लेकिन अमेरिकी सेना द्वारा इसे ऊहान में भेजने के चीन के आरोपों के बारे में की गई टिप्पणियों को चलने दिया जा रहा है।
क्या चल रहा है चीनी सोशल मीडिया पर?
चीनी सोशल मीडिया में ऐसे वीडियो खूब चल रहे हैं जिनमें एक अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारी को यह कहते हुए बताया गया है कि फ्लू से पीडित कुछ मृत मरीजों की जब गहन जांच की गई तो पता चला कि वह कोविड-19 से ग्रस्त था। चीनी सोशल मीडिया वेइबो पर इसे सबसे अधिक खोजे जाने वाले आइटम के तौर पर बताया जा रहा है जिसमें कुछ ने कहा है कि यह इस बात का प्रमाण है कि कोरोना वायरस का उदगम अमेरिका में ही हुआ जिस पर अमेरिका ने पर्दा डाले रखा।लेकिन यहाँ सामरिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि अपनी नाकामियों और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ख़िलाफ़ लग रहे आरोपों पर से ध्यान हटाने के लिये ही चीनी सोशल मीडिया में ऐसे आरोपों को हवा दी जा रही है कि कोरोना वायरस का उद्गम अमेरिका में हुआ।
जंगली जानवरों से फैला वायरस?
शुरुआती दौर में चीन के ही कुछ स्वास्थ्य अधिकारियों ने यह माना था कि कोरोना वायरस का उद्गम स्थल ऊहान ही था। चीन के सेंटर फ़ॉर डिजीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के प्रमुख काओ फू ने जनवरी में ही कहा था कि हम अब यह जानते हैं कि कोरोना वायरस का स्रोत कुछ जंगली जानवर हैं, जिन्हें ऊहान के सीफूड मार्केट में बेचा जा रहा था।खु़ुद चीनी अधिकारियों ने ही ऊहान औऱ इसके निकट हपेई प्रांत के बाकी इलाकों की काफी सख़्त से घेराबंदी कर दी थी। सवाल यह उठा है कि आखिर ऊहान के सीफूड मार्केट में जंगली जानवरों में कैसे कोरोना वायरस फैला।
कई वैज्ञानिकों का आरोप है कि ऊहान के इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलोजी में कोरोना वायरस की नई घातक प्रजाति पर काम चल रहा था। जिन जानवरों पर यह शोध चल रहा था, उन्हें शोध पूरा होने के बाद प्रयोगशाला के बाहर फूड मार्केट में बेच दिया गया।
सी फ़ूड का क्या है मामला?
वैज्ञानिकों ने शक जाहिर किया है कि ऊहान के सी फूड बाज़ार से कीटाणु मानव शरीर में चला गया, जहाँ से यह पहले ऊहान शहर और फिर पूरी दुनिया में फैला। इसी के मद्देनज़र सवाल यह भी पूछे जा रहे है कि आख़िर क्यों चीन ने जंगली जानवरों की देशभर में बिक्री पर रोक लगाने वाला आदेश जारी किया।चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन के विशेषज्ञ चुंग नानशान ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि कोरोना कीटाणु तो पहली बार चीन में सामने आया, लेकिन ज़रूरी नहीं कि इसका उद्गम चीन में ही हुआ हो।
जैव हथियार
सदियों से युद्धों के दौरान जैव हथियारों का इस्तेमाल किया जाता रहा है औऱ चीन के ऊहान शहर में ही कीटाणु शोध की सबसे बड़ी और एडवांस्ड प्रयोगशाला है, इसलिये यह शक करना स्वाभाविक है कि कोरोना वायरस मानव निर्मित है। इसे अमेरिका के मानव ने बनाया या चीन के मानव ने, इसकी गहन जाँच संयुक्त राष्ट्र की एक विशेषज्ञ टीम द्वारा होनी चाहिये।कोरोना वायरस का यदि कृत्रिम तौर पर विकास हुआ है तो यह मानवता के ख़िलाफ़ अत्य़धिक घृणित अपराध है। जैव हथियारों के विकास और उत्पादन पर रोक लगाने की जो संधि संयुक्त राष्ट्र के तहत 70 के दशक में हो चुकी है। उसमें दिये गए अधिकारों के तहत दोषी देश की पहचान की जानी चाहिये।
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