डोनल्ड ट्रंप ने कई हफ़्ते पहले ही चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठा कर यह संकेत दे दिया था कि नतीजा उनके पक्ष में नहीं रहा तो वे उसे मानने को बाध्य नहीं होंगे। उन्होंने दो दिन पहले एक बार फिर चुनाव प्रक्रिया पर सवालिया निशाना लगाया।
चुनाव प्रक्रिया पर सवाल
उन्होंने कहा कि युनाइटेड पोस्टल सर्विस के एक कर्मचारी को काम से हटा दिया गया, क्योंकि चुनाव पूर्व दिए गए वोटों के कई मतपत्र कूड़े के ढेर पर पड़े हुए मिले। दरअसल ट्रंप ऐसा कह कर चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं। ऐसे में वह चुनाव नतीजों को मानने से इनकार कर दें तो क्या ताज्जुब?नतीजों में होगी देर
पोस्टल बैलट चूंकि इस बार बहुत अधिक यानी करोड़ों में है, लिहाज़ा उसके बग़ैर चुनाव नतीजों का एलान नहीं किया जा सकता है और इन वोटों की गिनती में देर होगी। लिहाजा, यह साफ है कि चुनाव के नतीजों में देरी हो सकती है। पेनसिलवेनिया, नॉर्थ कैरोलाइना और मिनेसोटा ऐसे राज्य हैं, जहां पोस्टल बैलट की गिनती में कई दिन भी लग सकते हैं।हिंसा की आशंका
दक्षिणपंथी मिलिशिया यानी हथियारबंद समूहों से डोनल्ड ट्रंप और उनके प्रशासन की नज़दीकी जगज़ाहिर है। ये मिलिशिया या हथियारबंद लोग खुले आम हिंसा और ख़ून-ख़राबा की वकालत करते हैं।कम से कम 9 मिलिशिया ऐसे हैं जो खुले आम ट्रंप का समर्थन भी करते हैं। इनमें से कुछ चर्चित समूह हैं- प्राउड बॉयज़, पैट्रियट प्रेयर, ओथ कीपर्स, लाइट फ़ुट मिलिशिया, सिविलियन डिफेन्स फोर्स, अमेरिकन कंटेनजेन्सी और बुगालू बॉयज़।
क्या कहता है संंविधान?
अमेरिका के इलेक्टोरल काउंट एक्ट के तहत यह प्रावधान है कि हारने वाला उम्मीदवार उचित आधार पर अदालत जा सकता है और वह चुनाव नतीजों को लटका सकता है। वह चाहे तो अगले राष्ट्रपति के शपथग्रहण समारोह के समय तक यानी 20 जनवरी 2021 तक मामला लटकाए रख सकता है।“
अमेरिकी संविधान सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण के लिए निश्चित व्यवस्था नहीं करता है, वह यह मान कर चलता है कि हस्तांतरण शांतिपूर्ण ही होगा।
लॉरेन्स डॉगलस, 'विल ही गो' पुस्तक के लेखक
हार नहीं मानेंगे?
डॉगलस का मानना है कि ट्रंप चुनाव में हार स्वीकार नहीं करेंगे, कम से कम 'इंटरगेनम पीरियड' में तो नहीं ही मानेंगे। इंटरगेनम पीरियड का मतलब चुनाव से लेकर अगले राष्ट्रपति के शपथग्रहण तक, यानी इसकी पूरी संभावना है कि 20 जनवरी 2021 तक ट्रंप हार न मानें।उप राष्ट्रपति
पर अमेरिकी व्यवस्था में उप राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव नहीं होता है, कोई उप राष्ट्रपति पद के लिए वोट नहीं डालता है, राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होता है, उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार उसका 'रनिंग मेट' होता है। जो उम्मीदवार जीतता है, उसका रनिंग मेट उप राष्ट्रपति बन जाता है।ऐसा पहले हुआ है
याद दिला दें कि साल 2000 में जब रिपब्लिकन उम्मीदवार जॉर्ज बुश और डेमोक्रेट अल गोर के बीच चुनाव हो रहा था, अल गोर ने चुनाव हारने के बाद उसी रात अपनी हार मान ली। लेकिन अगले ही दिन इसे वापस ले लिया और वोटों की गिनती की मांग कर दी। इससे पूरे अमेरिका में हड़कंप मच गया।अल गोर ने फ़्लोरिडा में वोटों के फिर से मतगणना की मांग की थी और मामला अदालत पहुँच गया था। फ़्लोरिडा की अदालत ने 12 दिसंबर को 5-4 से फ़ैसला दिया और गिनती की माँग खारिज कर दी गई थी।
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