अदालत क्यों?
ट्रंप की टीम ने अदालत में दायर याचिका में कहा है कि पेनसिलविनिया में वोटों की गिनती तब तक रोक दी जाए जब तक सभी बैलट को एक बार फिर न देख लिया जाए। ट्रंप पेनसिलविनिया में बाइडन से आगे चल रहे हैं, पर वोटों का अंतर लगातार कम होता जा रहा है।ट्वीट
उन्होंने ट्वीट किया, “यह कैसे हो रहा है कि जब कभी वे लोग कूड़े के ढेर पर पोस्टर बैलट पाते हैं, वे विनाशकारी होते हैं।”
उन्होंने एक दूसरे ट्वीट में कहा, “उन्हें बाइडन के लिए हर जगह वोट मिल रहे हैं-पेनसिलविनिया, विस्कॉन्सिन और मिशिगन में भी। हमारे लिए देश के लिए कितना बुरा है!”
एक दूसरे ट्वीट में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, “कल रात को मैं तमाम जगहों पर जीत रहा था, वे वोट कहां गायब हो गए?”
How come every time they count Mail-In ballot dumps they are so devastating in their percentage and power of destruction?
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) November 4, 2020
ट्रंप का जीतना मुश्किल
उसके साथ ही उनकी टीम ने अदालत में याचिका भी दायर कर दी।यह ख़बर लिखी जाने तक जो बाइडन 253 और डोनल्ड ट्रंप 213 सीटों पर आगे चल रहे हैं, जबकि 466 सीटों का रुझान साफ हो चुका है। अमेरिकी चुनाव के प्रावधानों के अनुसार, 538 इलेक्टोरल वोटों यानी सीटों में 270 सीटें जीतने वाला विजेता घोषित कर दिया जाएगा। बाइडन और ट्रंप के बीच 40 सीटों का अंतर हो चुका है और समझा जाता है कि ट्रंप के लिए चुनाव जीतना अब बेहद मुश्किल हो चुका है।पर्यवेक्षकों का कहना है कि ट्रंप ने चुनाव परिणाम की घोषणा में देर करने और अड़ंगा लगाने के मक़सद से अदालत का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट और ज़्यादातर राज्य अदालतों में जज रिपब्लिकन रुझान के हैं और अदालतों की निष्पक्षता पर सवाल उठता है।
जॉज बुश बनाम अल गोर
साल 2000 के चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार जॉर्ज बुश से सिर्फ 537 वोटों के अंतर से हार गए डेमोक्रेट अल गोर ने सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर कर फ़्लोरिडा में वोटों की गिनती फिर से कराने की मांग की।लेकिन यदि वे पूरे चुनाव नतीजे को ही सुप्रीम कोर्ट ले गए या अलग-अलग राज्यों के मामलों को सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग उठाया या अलग-अलग राज्यों में मामला उठाया तो स्थिति काफी गंभीर हो सकती है।
क्या कहना है संविधान?
अमेरिकी संविधान के अनुसार, 20 जनवरी को नया राष्ट्रपति पदभार संभालेंगे, यानी उस समय तक ट्रंप राष्ट्रपति हैं। इसे ट्रांजिशन पीरियड कहते हैं। पहले यह अवधि लंबी होती थी और नया राष्ट्रपति 4 मार्च को पदभार संभालता था। लेकिन साल 1933 में 20वें संशोधन के ज़रिए इसे घटा कर 20 जनवरी कर दिया गया।बाइडन भी हैं तैयार!
डेमोक्रेट उम्मीदवार के प्रचार मैनेजर ने कहा है कि उनके वकीलों की टीम तैयार है और अदालत में सभी मामलों का मुक़ाबला किया जाएगा। ऐसे में इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि ट्रंप चाहें तो मामले को लंबा खींच सकते हैं। अल गोर ने 2000 में तो सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को स्वीकार कर लिया था, लेकिन यदि ट्रंप ने यह उदारता नहीं दिखाई तो क्या होगा।अमेरिकी संविधान के अनुसार, सबसे अधिक पॉपुलर वोट पाने वाला राष्ट्रपति नहीं बनता है, बल्कि सबसे अधिक इलेक्टोरल वोट पाने वाला देश का मुखिया चुना जाता है। हर राज्य में जनसंख्या के आधार पर इलेक्टोरल वोट होता है।
कैसे होता है फ़ैसला?
अधिकतर राज्यों में 'विनर गेट्स ऑल' का नियम है, यानी जिसे राज्य के अधिक इलेक्टोरल वोट मिल जाएंगे, उसके खाते में उस राज्य के सभी इलेक्टोरल वोट चले जाएंगे। मसलन, यदि पेनसिलविनिया के 20 इलेक्टोरल वोट में से 11 ट्रंप को मिल गए तो सभी 20 इलेक्टोरल वोट उनके खाते में गिने जाएंगे। चुनाव ख़त्म होने के बाद हर राज्य इलेक्टर्स चुनते हैं।लेकिन सवाल यह उठता है कि यदि अदालत का फ़ैसला 14 दिसंबर तक नहीं आया और आया तो ट्रंप ने उसे मानने से इनकार कर दिया तो क्या होगा।
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