यूएस के 47वें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ताजपोशी और उसके बाद उनकी भारत नीति का बेसब्री से इंतजार न सिर्फ भारत को है बल्कि अमेरिका में रह रहे असंख्य अमेरिकी भारतीय को भी है। हालांकि यूएस में डेमोक्रेट या रिपब्लिकन किसी का भी शासन आए, उनकी विदेश नीति और इजराइल नीति कभी नहीं बदलती। लेकिन पूरे चुनाव प्रचार अभियान के दौरान ट्रंप के दिए गए भाषण बता रहे हैं कि वो अपनी विदेश नीति को नई शक्ल देंगे। जिसमें भारत के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष चुनौतियां कम नहीं होंगी। मसलन हाई टैरिफ और वीजा प्रमुख है, जिसका सीधा सरोकार भारत से है। अगर चीन की तरह भारत में निर्मित वस्तुओं पर हाई टैरिफ पर लगा तो इसका असर भारत के  उद्योग जगत पर होगा। वीजा के नियम कड़े हुए तो भारतीय प्रोफेशनल्स पर असर पड़ेगा। यही वजह है कि तमाम विदेश मुद्रा बाजार इस समय अस्थिर हो गए हैं। खुद अमेरिका की ट्रेजरी का रुख और फेडरल रिजर्व द्वारा कम कटौती के बाद अमेरिका में महंगाई बढ़ने की आशंकाएं जताई जा रही हैं। इसका असर भारत समेत कई देशों की मौद्रिक नीति (monetary policy) के फैसलों पर असर पड़ सकता है।