अमेरिका में कोरोना मामलों की 'सुनामी' आ ही गई। 'ब्लूमबर्ग' की रिपोर्ट के अनुसार सोमवार को एक दिन में 10 लाख से ज़्यादा कोरोना संक्रमण के मामले आए। यह दुनिया भर में एक नया रिकॉर्ड है। इससे पहले पिछले गुरुवार को अमेरिका में ही क़रीब 5 लाख 90 हज़ार केस आए थे। फ़िलहाल तो अमेरिका हर रोज़ अपने ही देश के रिकॉर्ड को तोड़ रहा है, लेकिन इससे पहले दूसरी लहर के दौरान भारत में 7 मई को क़रीब 4 लाख 14 हज़ार पॉजिटिव मामले आए थे और यह दुनिया भर में एक रिकॉर्ड था।
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने दुनिया भर में कोरोना मामलों में वृद्धि पर चिंता व्यक्त की है। इसने पिछले हफ़्ते ही कहा कि वह कोरोनो के ओमिक्रॉन और डेल्टा वैरिएंट के बारे में चिंतित है और दोनों मिलकर संक्रमण की 'सुनामी' लाएँगे।
डब्ल्यूएचओ ने यह भी कहा है कि अगर ऐसा होना जारी रहता है तो इससे स्वास्थ्य कर्मियों पर जबरदस्त दबाव पड़ेगा और हमारा स्वास्थ्य ढांचा ध्वस्त होने की कगार पर पहुंच जाएगा।
अमेरिका में कोरोना संक्रमण के इतने ज़्यादा मामले इसलिए और भी चौंकाने वाले हैं क्योंकि विशेषज्ञ मानते हैं कि छुट्टियों के कारण टेस्टिंग और डेटा रिपोर्टिंग उतना सही से नहीं हो पाती है। कुछ लोगों द्वारा घर पर परीक्षण करने के मामले बढ़ने का मतलब यह भी हो सकता है कि कुछ मामले आधिकारिक गिनती में नहीं आ रहे हों।
ऐसा इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि पिछले साल थैंक्सगिविंग और क्रिसमस के बाद मामलों में एक बड़ी गिरावट देखी गई थी। तब इसके पीछे वही वजह बताई गई थी। इसी को देखते हुए आशंका जताई जा रही है कि इस मौसम में जितनी लोगों की संख्या दिख रही है, उससे कहीं अधिक लोग संक्रमित होंगे।
हालाँकि पिछली लहर और इस लहर के बीच अंतर यह है कि पहली लहर में अमेरिका में जब क़रीब तीन लाख पॉजिटिव केस आ रहे थे तो हर रोज़ 4 हज़ार से भी ज़्यादा मौतें होने लगी थीं। लेकिन मौजूदा लहर के दौरान मृतकों की संख्या डेढ़ से दो हज़ार के बीच है।
बढ़ते संक्रमण के कारण उड़ानें रद्द हो गई हैं, स्कूल और कार्यालय बंद हो गए हैं, अस्पतालों पर दबाव बढ़ गया है और सप्लाई चेन बाधित हुई है।
अमेरिका में ऐसे प्रकोप के बीच प्रतिबंध के कुछ उपायों में संशोधन करने पर अधिकारी विचार कर रहे हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने कहा कि यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने बिना लक्षण वाले कोरोना पॉजिटिव आए लोगों के लिए आइसोलेशन की अवधि को पांच दिनों तक कर दिया गया है। यह भी नियम जोड़ा जा सकता है कि उन्हें फिर से बाहर निकलने से पहले एक नेगेटिव रिपोर्ट दिखानी चाहिए।
दुनिया भर में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेज़ी से बढ़ोतरी के लिए ओमिक्रॉन वैरिएंट को ज़िम्मेदार माना जा रहा है। अब तक कई शोधों में यह बात सामने आ चुकी है कि यह डेल्टा से भी काफ़ी ज़्यादा तेज़ी से फैलता है और कोरोना वैक्सीन से मिली सुरक्षा कवच को भेद सकता है। सबसे पहली बार 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका में पता लगाया गया यह वैरिएंट दुनिया भर में 100 से ज़्यादा देशों में फैल चुका है। भारत में भी कम से कम 23 राज्यों में ओमिक्रॉन वैरिएंट के मामले आ चुके हैं।
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