चीन की सरकार बढ़ते विरोध प्रदर्शनों से इतना डर गई है कि अब यूनिवर्सिटी, कॉलेजों के छात्रों को उनके घरों पर वापस भेजा जा रहा है। ढेरों हॉस्टल खाली करा लिए गए हैं। छात्रों से कहा गया है कि वे घर से ऑनलाइन परीक्षा दे सकते हैं, पढ़ाई कर सकते हैं।
न्यूज एजेंसी एपी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि चीनी विश्वविद्यालय छात्रों को घर भेज रहे हैं क्योंकि चीन ने कोविड नियंत्रण को कड़ा कर दिया है। हालांकि मंगलवार को बीजिंग, शंघाई या अन्य प्रमुख शहरों में मंगलवार को शांति रही, कोई विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ। इसकी एक वजह यह भी है कि जगह-जगह भारी पुलिस बल तैनात है।
चीन प्रशासन ने आठ शहरों में विरोध प्रदर्शनों के बाद जनता के गुस्से को कम करने की कोशिस में सोमवार को कुछ प्रतिबंधों में ढील दी थी। लेकिन सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने साफ कर दिया कि कोविड पर जीरो टॉलरेंस नीति में कोई कमी नहीं आएगी। इसका मतलब यह है कि लोगों को घरों में ही रहना होगा।
राष्ट्रपति शी जिनफिंग के पूर्व विश्वविद्यालय सिंघुआ यूनिवर्सिटी में रविवार को छात्रों के प्रदर्शन ने सरकार को ज्यादा चिंतित किया। यही वजह है कि बीजिंग और दक्षिणी प्रांत ग्वांगडोंग के अन्य स्कूल-कॉलेजों ने कहा कि वे छात्रों को वापस घरों को भेज रहे हैं। कुछ विश्वविद्यालयों ने छात्रों को रेलवे स्टेशनों तक ले जाने के लिए बसों की व्यवस्था की है। छात्रों से कहा गया है कि उनकी क्लास और अंतिम परीक्षा ऑनलाइन होगी।
एपी की रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजिंग फॉरेस्ट्री यूनिवर्सिटी ने अपनी वेबसाइट पर लगाए गए नोटिस में कहा, हम छात्रों को उनके शहरों में लौटने की व्यवस्था करेंगे। ताकि छात्रों को कोविड वायरस से बचाया जा सके।
चीन को क्या डर है
1980 के दशक में लोकतांत्रिक सुधारों के लिए जो आंदोलन हुआ था, उसकी शुरुआत चीन के छात्रों ने की थी। बीजिंग के थियानमेन स्क्वायर पर 1989 में बहुत बड़ा छात्र आंदोलन हुआ, जिसे चीन की सेना ने बेरहमी से कुचल दिया था। चीनी राजनीति के विशेषज्ञ प्रोफेसर डाली यांग ने कहा, छात्रों को घर भेजकर, अधिकारी शांति की उम्मीद कर रहे हैं। छात्र महीनों से कैंपस में बंद हैं। उनके लिए नौकरी की संभावनाएं खत्म हो गई हैं। आर्थिक मंदी निराशा को बढ़ा रही है।
हांगकांग में प्रदर्शन
इस बीच हांगकांग में, चीन के लगभग 50 छात्रों ने हांगकांग के चीनी विश्वविद्यालय में समर्थन में सोमवार को विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने मोमबत्तियां जलाईं और नारे लगाए- हमें पीसीआर टेस्ट नहीं बल्कि आजादी दो! तानाशाही का विरोध करो, गुलाम मत बनो!
लोकतंत्र समर्थक आंदोलन को कुचलने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों के बाद हांगकांग में यह सबसे बड़ा विरोध था।
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