कोरोना वायरस वैक्सीन पर अच्छी ख़बर आई है। शुरुआती ट्रायल में ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित वैक्सीन सुरक्षित है और इसमें प्रतिरोधक क्षमता भी पाई गई है। इंसानों पर किए ट्रायल के नतीजे सोमवार को द लांसेट पत्रिका में छापे गए हैं। रिसर्च पेपर में बताया गया है कि कोरोना वायरस वैक्सीन ChAdOx1 nCoV-19 किसी के शरीर में दिए जाने पर वायरस के ख़िलाफ़ प्रतिरोधक क्षमता पाई गई। इस शुरुआती परिणाम से पूरी दुनिया भर में करोड़ों लोगों में एक उम्मीद की किरण जागी है। इसके साथ ही अब इसे अगले चरण के ट्रायल के लिए भी हरी झंडी मिल गई है। कहा जा रहा है कि दुनिया भर में ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन ही सबसे एडवांस स्टेज में है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी की इस वैक्सीन का ब्रिटेन, ब्राज़ील और दक्षिण अफ़्रीका सहित कई जगहों पर व्यापक रूप से परीक्षण किया गया। यह परीक्षण फ़िलहाल एडवांस स्टेज में है। दूसरे फेज में 18-55 साल की उम्र के लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल किया गया। कुल 56 दिन तक चले ट्रायल में 23 अप्रैल से 21 मई के बीच जिन लोगों को वैक्सीन दी गई थी उनमें सिरदर्द, बुखार, बदन दर्द जैसी शिकायतें पैरासिटमॉल से ठीक हो गईं। रिपोर्ट में कहा गया है कि ज़्यादा गंभीर दुष्प्रभाव नहीं हुए।
इस रिसर्च के बारे में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रमुख लेखक एंड्रयू पोलार्ड ने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि इसका मतलब है कि इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस को याद रखेगी, ताकि हमारी वैक्सीन एक लंबी अवधि के लिए लोगों की रक्षा करेगी।'
उन्होंने यह भी कहा, 'हालांकि, हमें और अधिक शोध की आवश्यकता है इससे पहले कि हम इस बात की पुष्टि कर सकें कि टीका प्रभावी रूप से कोरोना वायरस संक्रमण से बचाता है और कितने समय तक यह सुरक्षा देता है।'
इस मामले में ऑक्सफोर्ड, इंग्लैंड सरकार और बायोफार्मा प्रमुख एस्ट्राजेनेका के बीच पहले से ही आपसी सहयोग किया जा रहा है ताकि अंतिम परिणाम सकारात्मक होने पर वैक्सीन बड़े पैमाने पर बनाई जा सके। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया इसके उत्पादन के लिए वैश्विक साझेदारों में से एक है।
बता दें कि इसके अलावा भी कोरोना वायरस का टीका बनाने के प्रयास जारी हैं। कई देशों में मानव पर दूसरे चरण के ट्रायल किए जा रहे हैं जबकि कई देशों में पहले चरण में ट्रायल शुरू किए जा चुके हैं। भारत में भी पहले चरण का ट्रायल शुरू हो चुका है। भारत में भी कम-से-कम सात कंपनियाँ वैक्सीन बनाने के काम में जुटी हैं।
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