दुनिया के नक़्शे पर एक बार फिर से तालिबान का ख़तरा मँडराने लगा है। वह फिर से शक्तिशाली हो रहा है I उसे अपने आप को नये सिरे से संगठित करने का अच्छा मौक़ा मिल गया। यह उस समय हो रहा है जब दुनिया के बड़े देश अफ़ग़ानिस्तान को अपने प्रभाव में लेने के लिये सक्रिय हो रहे हैं। रूस मॉस्को में एक सम्मलेन कर रहा है। अमेरिका  इस इलाक़े में बातचीत के लिए समर्थन जुटाने में लगा है। वह कैलिफ़ोर्निया में एक सम्मलेन भी कर चुका है। अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी शांति वार्ता के लिये जेनेवा गये थे और भविष्य की योजना पर चर्चा भी की थी। अपनी तरफ़ से उन्होंने एक रोडमैप भी रखा। फ़िलहाल तालिबान उनसे बात करने को तैयार नहीं है। तालिबान का मानना है कि इस वक़्त अफ़ग़ानिस्तान पूरी तरह से अमेरिका के कब्ज़े में है। और अगर उन्हें बात ही करनी होगी तो वह अमेरिका से करेगा, उनके कठपुतली से वह क्यों करे बात?  कैलिफ़ोर्निया सम्मेलन के बाद ग़ज़नी शहर को तालिबानियों ने रौंद  डाला। कुंदूज़ और फराह शहर पहले से ही तालिबान के कब्ज़े में है।