लगातार बढ़ते जा रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने आखिरकार सोमवार को इस्तीफ़ा दे दिया। बता दें कि मुल्क में लगातार हो रहे प्रदर्शनों के बीच राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे से इस्तीफा देने की मांग की जा रही थी।
बीते शुक्रवार को राष्ट्रपति ने एक अहम बैठक बुलाई थी और इसमें प्रधानमंत्री से पद छोड़ने का अनुरोध किया था।
श्रीलंका में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं और जरूरी चीजों की किल्लत से परेशान लोग सड़कों पर उतर आए हैं।
हालांकि लगातार बिगड़ते हालात की वजह से ही शुक्रवार रात से आपातकाल लागू हो गया था और बीते अप्रैल महीने में भी हुकूमत को आपातकाल लगाना पड़ा था।
माना जा रहा है कि राष्ट्रपति राजपक्षे एक बार फिर सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुला सकते हैं।
बीते दिनों में प्रदर्शनकारियों ने एक बार फिर राष्ट्रपति राजपक्षे के दफ्तर तक पहुंचने की कोशिश की है। हालात को देखते हुए सत्तारूढ़ पार्टी के सांसदों की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में कई लोग घायल हो चुके हैं।
छात्र संगठनों ने चेतावनी दी है कि वे संसद से बाहर निकलने वाले सारे रास्तों को बंद कर देंगे। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रपति राजपक्षे को 17 मई से पहले इस्तीफा दे देना चाहिए।
बता दें कि बीते कई महीनों से श्रीलंका के तमाम बड़े शहर अंधेरे का सामना कर रहे हैं और इसके साथ ही भोजन, तेल और दवाईयों सहित कई जरूरी चीजों की कमी भी है और यह बेतहाशा महंगी हो गई हैं।
श्रीलंका 1948 में अपनी आजादी के बाद से सबसे खराब हालात का सामना कर रहा है।
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