तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री मा सुब्रमण्यम ने खान-पान को लेकर अजीबोगरी नसीहत दी है। स्ट्रीट फूड कहे जाने वाले शवरमा को लेकर उन्होंने कहा है कि यह पश्चिमी देशों का भोजन है इसलिए लोग इसे खाने से बचें। उनकी इस नसीहत के लिए तर्क भी अजीबोगरीब है। उनका कहना है कि चूँकि यह पश्चिमी देशों का भोजन है इसलिए भारत के तापमान में इसका भोजन नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से भोजन दूषित हो जाता है और इससे बिमार पड़ने का ख़तरा रहता है। तो सवाल है कि उनकी नसीहत कितनी तर्कसंगत है?
जिस शवरमा को मंत्री ने पश्चिमी देशों का भोजन बताया है वह दरअसल मध्य पूर्व के देशों का लोकप्रिय भोजन है। पश्चिमी देशों का आम तौर पर मतलब अमेरिका और यूरोप के अमीर देशों से है जो सामान्य तौर पर ठंडे प्रदेश हैं। मध्य पूर्व के देशों में ईरान, इराक, इजरायल, यमन, जॉर्डन, कतर, कुवैत, बहरीन जैसे देश हैं। और ये उस तरह के ठंडे प्रदेश नहीं हैं।
लेकिन मंत्री मा सुब्रमण्यम ने रविवार को मेगा टीकाकरण अभियान में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि दूसरे खाद्य पदार्थ उपलब्ध हैं और लोगों को उन चीजों को खाने से बचना चाहिए जो उनके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।
'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'शवरमा पश्चिमी भोजन है। यह पश्चिमी देशों की जलवायु परिस्थितियों के कारण उपयुक्त हो सकता है। उन क्षेत्रों में तापमान माइनस डिग्री तक जा सकता है। अगर इसे बाहर रखा भी जाए तो यह ख़राब नहीं होता है। मांस का कोई भी सामान हो, अगर फ्रीजर में इसे सही हालत में नहीं रखा गया तो ये खराब हो जाते हैं। उन ख़राब हो चुकी चीजों को खाने से स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएँ हो सकती हैं।'
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हालाँकि, खाद्य सुरक्षा अधिकारी बताते हैं कि शवरमा एकमात्र ऐसा खाद्य पदार्थ नहीं है जो फूड प्वाइजनिंग का कारण बन सकता है, किसी भी चीज को अस्वच्छ स्थिति में तैयार किया जाता है या ठीक से नहीं रखा जाता है तो संक्रमण हो सकता है।
'द न्यूज़ मिनट' के अनुसार, कन्नूर के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुदीप का कहना है, 'जीवाणु सड़ने या पुराने खाद्य पदार्थों में बनते हैं और विषाक्त पदार्थों को छोड़ते हैं, जो फूड प्वाइजनिंग का कारण बनते हैं। गर्मियों के दौरान ऐसा होने की संभावना अधिक होती है, क्योंकि गर्मी में भोजन जल्दी सड़ जाएगा। जब हम फ्रीजर में या कम तापमान में भोजन रखते हैं तो जीवाणुओं की कार्यप्रणाली सीमित हो जाएगी, जिससे भोजने के दूषित होने से रोका जा सकेगा।'
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