जहाँ कोरोना का इलाज करने वाले दक्षिण अफ्रीका के डॉक्टरों ने ही शुरुआती आकलन में कहा है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित लोगों में हल्के लक्षण दिख रहे हैं वहीं अब दक्षिण अफ्रीका के सरकारी विशेषज्ञ ने संभावित बड़े ख़तरे को लेकर चेताया है। दक्षिण अफ्रीका के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज यानी एनआईसीडी निदेशक ने कहा है कि दक्षिण अफ्रीका में पाया गया ओमिक्रॉन डेल्टा वैरिएंट से भी ज़्यादा संक्रामक हो सकता है।
रायटर्स से साक्षात्कार में एनआईसीडी के कार्यकारी एग्जक्यूटिव डाइरेक्टर एड्रियन प्योरन ने कहा, 'हमने सोचा था कि डेल्टा को क्या मात देगा? यह हमेशा से सवाल रहा है, कम से कम तेजी से फैलने के संदर्भ में, ...शायद यह विशेष वैरिएंट है।'
उन्होंने कहा कि यदि डेल्टा वैरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन आसानी से फैलता है तो इससे संक्रमणों में तेज़ वृद्धि हो सकती है जो अस्पतालों पर दबाव डाल सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने दो दिन पहले ही कहा है कि शुरुआती साक्ष्य से पता चलता है कि जिन लोगों को पहले कोरोना संक्रमण हो चुका है उनको 'ओमिक्रॉन' के फिर से संक्रमण का ख़तरा बढ़ सकता है। ऐसे लोग अधिक आसानी से दोबारा संक्रमित हो सकते हैं।
ओमिक्रॉन का पता चलने के बाद से ही विश्व भर में चिंताएँ बढ़ गई हैं। कई देशों ने डर से दक्षिण अफ्रीका की उड़ानों पर पाबंदी लगा दी है। डर यह भी है कि यह टीकाकरण वाली आबादी में भी तेजी से फैल सकता है और विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इसमें संक्रमण बढ़ने का ज़्यादा ख़तरा है।
दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञ प्योरन ने कहा है कि वैज्ञानिकों को चार सप्ताह के भीतर पता लगना चाहिए कि ओमिक्रॉन टीकों या पहले के संक्रमण से शरीर में बनी एंटीबॉडी से किस हद तक बच निकल सकता है।
कोरोना की मौजूदा वैक्सीन के ओमिक्रॉन पर निष्प्रभावी होने की आशंका वैक्सीन बनाने वाली एक कंपनी ने भी जाहिर की है। मॉडर्ना के सीईओ स्टीफ़न बांसेल ने कहा है कि मौजूदा वक़्त में दी जा रहीं तमाम वैक्सीन ओमिक्रॉन वैरिएंट पर उतनी कारगर साबित नहीं होंगी जितनी यह बाक़ी वैरिएंट के लिए हुई हैं। स्टीफ़न बांसेल ने फ़ाइनेंशियल टाइम्स से बातचीत में कहा कि ओमिक्रॉन के लिए नई डोज बनाने में कंपनियों को कई महीने लगेंगे। दुनिया भर के कई देशों में वैज्ञानिक ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर शोध कर रहे हैं।
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