यूक्रेन के मुद्दे पर रूस और अमेरिका के बीच की तनातनी से यह साफ हो चुका है कि इसके ज़रिए मॉस्को उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन यानी नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (नैटो) के विस्तार के ख़िलाफ़ तो है ही, वह वाशिंगटन को चुनौती देने की स्थिति में भी है। यह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के राष्ट्रवाद और ध्वस्त हो चुके सोवियत संघ की प्रतिष्ठा को फिर से हासिल करने की कोशिश में भी फिट बैठता है। इस पूरे मामले में भारत की स्थिति खराब इसलिए है कि यदि यूरोपीय संघ या अमेरिका ने रूस पर आंशिक रूप से भी आर्थिक प्रतिबंध लगाया तो नई दिल्ली न तो इससे बच सकेगा न ही इस पर कुछ कर सकेगा।