यूक्रेन के मुद्दे पर रूस और अमेरिका के बीच की तनातनी से यह साफ हो चुका है कि इसके ज़रिए मॉस्को उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन यानी नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (नैटो) के विस्तार के ख़िलाफ़ तो है ही, वह वाशिंगटन को चुनौती देने की स्थिति में भी है। यह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के राष्ट्रवाद और ध्वस्त हो चुके सोवियत संघ की प्रतिष्ठा को फिर से हासिल करने की कोशिश में भी फिट बैठता है। इस पूरे मामले में भारत की स्थिति खराब इसलिए है कि यदि यूरोपीय संघ या अमेरिका ने रूस पर आंशिक रूप से भी आर्थिक प्रतिबंध लगाया तो नई दिल्ली न तो इससे बच सकेगा न ही इस पर कुछ कर सकेगा।
रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो…
- दुनिया
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- 25 Jan, 2022
रूस किसी कीमत पर नहीं चाहता कि नैटो में यूक्रेन को दाखिला मिले। यूक्रेन से सटी सीमा पर लाखों रूसी सैनिक तैनात हैं। क्या वह यूक्रेन पर हमला कर देगा?

फ़िलहाल यूक्रेन से सटी सीमा पर रूस के अपने इलाक़े में एक लाख से ज़्यादा रूसी सैनिक पूरे सैनिक साजो सामान से लैस तैनात हैं, जो किसी भी क्षण एक इशारे पर ज़ोरदार हमला बोल सकते हैं। दूसरी ओर यूक्रेन की सीमा पोलैंड और रोमानिया से भी मिलती, जो पहले से ही नैटो के सदस्य हैं। ज़ाहिर है, इन सदस्य देशों के मार्फ़त नैटो सैनिक किसी भी क्षण यूक्रेन की सीमा पार कर रूसी सैनिकों पर हमला कर सकते हैं।
दरअसल यूक्रेन संकट के समझने के लिए मौजूदा समय में उसकी सीमाओं पर तैनात सैनिकों की मौजदूगी ही काफी है। पोलैंड किसी समय सोवियत संघ के निकटतम मित्र देशों में था और उसके नेतृत्व वाले वारसा सैन्य संधि का सदस्य भी था। इसी तरह रोमानिया भी सोवियत संघ के क़रीब और वारसा संधि का सदस्य था।