सीमा पर कायराना हरक़तें करने में जुटे ड्रैगन को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ-साफ शब्दों में भारत क्या चाहता है, ये बता दिया है। चीन के साथ लगने वाली सीमा पर जारी जबरदस्त तनाव के बीच मॉस्को पहुंचे राजनाथ सिंह ने चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंघे के साथ बैठक की। कहा गया है कि इस बैठक का अनुरोध चीनी रक्षा मंत्री की ओर से ही किया गया था।
लगभग ढाई घंटे तक चली बातचीत के दौरान रक्षा मंत्री सिंह ने कहा कि चीन को लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) का सम्मान करना ही होगा। उन्होंने कहा कि ड्रैगन एलएसी की मौजूदा स्थिति को बदलने की कोई भी एकतरफ़ा कोशिश न करे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत अपनी संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस साल मई के महीने से लद्दाख में जारी तनातनी के बाद यह पहला मौक़ा था, जब दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों ने मुलाक़ात की।
बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने चीनी रक्षा मंत्री से यह भी कहा कि मौजूदा हालात को जिम्मेदारी से संभालने की ज़रूरत है और किसी भी पक्ष को ऐसा कोई क़दम नहीं उठाना चाहिए जिससे सीमाई इलाकों में हालात बिगड़ें।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया (टीओआई) ने अधिकारियों के हवाले से कहा है कि राजनाथ सिंह ने चीनी रक्षा मंत्री से कहा कि चीनी सैनिकों की ओर से की जा रही कार्रवाई जैसे- बड़ी संख्या में जवानों का इकट्ठा होना, उनका एग्रेसिव व्यवहार और यथा स्थिति को बदलने की कोशिश करना द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन है।
इरादों पर शक न करे कोई देश
टीओआई के मुताबिक़, रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों पक्षों को अपनी बातचीत कूटनीतिक और सैन्य माध्यम से जारी रखनी चाहिए जिससे एलएसी पर हालात को जल्द से जल्द सामान्य किया जा सके। उन्होंने यह भी साफ किया कि भारत के जवानों ने सीमा पर हमेशा से ही जिम्मेदारी भरा बर्ताव किया है लेकिन किसी को भी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के हमारे इरादों पर शक नहीं होना चाहिए।
'संप्रभुता के साथ कोई समझौता नहीं'
‘विश्वास का माहौल बनाना ज़रूरी’
राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने मॉस्को पहुंचे हैं। राजनाथ सिंह ने शनिवार रात को एससीओ देशों की बैठक में भी साफ तौर पर कहा कि इस खित्ते में शांति और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए यह ज़रूरी है कि विश्वास का माहौल बनाया जाए, मतभेदों का शांतिपूर्वक समाधान निकाला जाए और अंतरराष्ट्रीय नियमों का सम्मान किया जाए। इस बैठक में चीनी विदेश मंत्री भी मौजूद थे। एससीओ में 8 देश हैं और भारत और चीन दोनों ही इसके सदस्य हैं।
गलवान में भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद से ही दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण हैं। लेकिन 29-30 अगस्त को पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी इलाक़े में चीन के सैनिकों द्वारा भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश के बाद अब हालात ज़्यादा ख़राब होते दिख रहे हैं।
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