कोरोना वैक्सीन आने के बाद ऐसे हालात की कल्पना तो किसी ने नहीं की होगी जैसे हालात यूरोप में अब बन रहे हैं। कई देशों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और कई देशों में तो हिंसा भी हो रही है। वह भी सिर्फ़ इसलिए कि कोरोना के मामले बढ़ने पर लॉकडाउन जैसी पाबंदियाँ लगाई गई हैं। कुछ देशों में तो इसलिए विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं कि बिना वैक्सीन लगाए लोगों पर पाबंदी क्यों लगाई जा रही है। ये वे देश हैं जहाँ की आधी से ज़्यादा आबादी वैक्सीन लगवा चुकी है, लेकिन अब ख़बरें आ रही हैं कि बाक़ी लोग वैक्सीन लगवाने के इच्छुक नहीं हैं और उनमें टीके के प्रति हिचक है।
जिन देशों में बड़े पैमाने पर ऐसे विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं उनमें बेल्जियम, नीदरलैंड्स, ऑस्ट्रिया, क्रोएशिया और इटली जैसे देश शामिल हैं।
यूरोप में हाल में मामले काफ़ी तेज़ी से बढ़ रहे हैं और हर रोज़ क़रीब तीन लाख कोरोना संक्रमण के नये मामले सामने आ रहे हैं। हर रोज़ क़रीब 3400 लोगों की मौतें भी हो रही हैं। सिर्फ़ यूरोप में ही 65 लाख से ज़्यादा कोरोना के सक्रिय मामले हैं। इंग्लैंड में हर रोज़ 44 हज़ार से ज़्यादा मामले आ रहे हैं। जर्मनी में 40 हज़ार, रूस में 35 हज़ार, नीदरलैंड्स में 23 हज़ार, बेल्जियम व ऑस्ट्रिया में 13-13 हज़ार हर रोज़ पॉजिटिव केस आ रहे हैं।
इसी कारण कई देशों में नये सिरे से पाबंदियाँ लगाई जा रही हैं।
ऐसी ही पाबंदी के ख़िलाफ़ बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में हजारों की संख्या में लोगों ने मार्च किया। कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिस अधिकारियों पर आतिशबाजी की। पुलिस ने आंसू गैस और पानी की बौछार से बचाव किया।
प्रदर्शनकारियों की आपत्ति यह है कि बिना टीका लगाए लोगों को रेस्तरां या बार जैसे स्थानों पर जाने से क्यों रोका जा रहा है।
इससे पहले नीदरलैंड्स में नए लॉकडाउन नियमों के ख़िलाफ़ भी प्रदर्शन हुआ था। पिछले हफ़्ते ही राजधानी द हेग में लोगों ने पुलिस पर आतिशबाजी की और साइकिल में आग लगा दी। विरोध प्रदर्शन के हिंसक होने पर पुलिस ने गोलियाँ चलाईं।
ऑस्ट्रिया, क्रोएशिया और इटली में भी हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए क्योंकि उन लोगों में नए प्रतिबंधों से ग़ुस्सा बढ़ गया है।
डब्ल्यूएचओ बेहद चिंतित
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि वह महाद्वीप पर बढ़ते कोरोनावायरस मामलों के बारे में बेहद चिंतित है। बीबीसी से बातचीत में डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. हंस क्लूज ने चेतावनी दी कि यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की जाती है तो मार्च तक 5 लाख और मौतें हो सकती हैं।
यह चेतावनी तब आई है जब कई देशों में रिकॉर्ड-उच्च संक्रमण दर है और इसे नियंत्रित करने के लिए पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन लगाए गए हैं। पूरे महाद्वीप में कई सरकारें बढ़ते संक्रमण से निपटने के लिए नए प्रतिबंध ला रही हैं।
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