loader

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ को फाँसी की सज़ा

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशरर्फ़ को एक विशेष अदालत ने राजद्रोह के आरोप में फाँसी की सज़ा सुनाई है। परवेज़ मुशरर्फ़ फ़िलहाल विदेश में हैं। वे पाकिस्तानी सेना के प्रमुख रह चुके हैं। उन्होंने नवाज़ शरीफ़ की सरकार का तख़्ता पलट कर सत्ता की बागडोर संभाल ली थी। पाकिस्तान के अंग्रेज़ी अख़बार 'द डॉन ने' यह ख़बर दी है। 
उन पर 3 दिसंबर, 2007, को लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार हटाने के मामले में ही राजद्रोह का मुक़दमा चलाया गया था।
पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति पर यह मामला दिसंबर 2013 से ही चल रहा है। उन्हें विशेष अदालत ने 3 मार्च, 2014 को दिए अपने एक फ़ैसले में दोषी क़रार दिया था। मुशर्रफ़ मार्च, 2016, से ही विदेश में रह रहे हैं।
इस विशेष अदालत की अगुआई पेशावर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वक़ार अहमद सेठ कर रहे हैं। इसमें सिंध हाई कोर्ट के जस्टिस नज़र अकबर और लाहौर हाई कोर्ट के जस्टिस शाहिद करीम भी हैं।  

इस फ़ैसले के पहले मुशर्रफ़ के वकील रज़ा बशीर ने दरख़्वास्त देकर कहा था कि उनके मुवक्किल को अपनी बात रिकार्ड कराने का मौक़ा मिलना चाहिए। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तानी दंड संहिता की धारा 342 के तहत मुशर्रफ़ की उचित सुनवाई होनी चाहिए। 

जज ने कहा था कि परवेज़ मुशरर्फ़ को अपनी बात कहने का पूरा हक़ है और वह कभी भी अदालत में पेश होकर अपनी बात कह सकते हैं। इस पर इस पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति के वकील ने कहा था कि मुशरर्फ़ बीमार हैं और इस समय अदालत में पेश होकर अपनी बात नहीं कह सकते।  

मुशरर्फ़ ने 18 अगस्त, 2008 को राष्ट्रपति पद से इस्तीफ़ा दे दिया। वे इस पर दर 9 साल रहे। 

कारगिल 

परवेज़ मुशरर्फ़ भारत में दो कारणों से जाने जाते हैं। उनके नेतृत्व में ही पाकिस्तान सेना ने कारगिल में घुसपैठ की थी और उन सैनिकों को वहाँ से हटाने में भारत को काफ़ी दिक्क़तों का सामना करना पड़ा था। समझा जाता है कि उस पूरी घुसपैठ की योजना बनाने से लेकर उसे पूरा करने का काम मुशरर्फ़ ने ही किया था। वे उस समय पाकिस्तानी सेना के प्रमुख थे और उस पूरे ऑपरेशन में निजी तौर पर दिलचस्पी ले रहे थे। 

आगरा शिखर सम्मेलन

परवेज़ मुशर्फ़ ने राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद भारत के साथ रिश्ते सुधारने पर ज़ोर दिया। उस समय भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। मुशर्रफ़ के न्योते पर वाजपेयी एक बड़े प्रतिनिधिमंडल के साथ पाकिस्तान गए। दोनों देशों के बीच बस सेवा शुरू की गई और समझौता एक्सप्रेस नाम से विशेष ट्रेन सेवा भी शुरू की गई। परवेज़ मुशरर्फ़ अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत आए और दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय बातचीत हुई। पर बाद में उस बातचीत का भी कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

दुनिया से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें