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कोरोना जैसी महामारी में भी पाकिस्तान ने ढूंढ लिया कश्मीर एंगल!

कोरोना जैसी महामारी से जिस समय 10 हज़ार से ज़्यादा लोगों की जान चली गई है, पाकिस्तान में कश्मीर का एंगल ढूंढ लिया और भारत के ख़िलाफ़ नई मुहिम छेड़ दी। उसने इस मुहिम में हमेशा की तरह चीन का साथ लिया और भारत को घेरने की कोशिश की।
 इसलामाबाद ने यह सब उस समय किया जब भारत ने पाकिस्तान समेत सभी सार्क देशों के लिए साझा कोष बनाने का सुझाव दिया और उसमें पैसे भी दिए। 
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दिसंबर में चीन के ऊहान शहर से फैले कोरोना वायरस के संक्रमण ने दुनिया के देशों को कूटनीतिक चालें चलने का भी मौक़ा दिया है। इस वजह से देशों के बीच रिश्ते बिगाड़ने और बनाने की कोशिशें भी हुई हैं।

कोरोना कूटनीति!

तीन हजार से अधिक लोगों की मौत का भारी नुक़सान सहने के बाद जहाँ चीन ने अब बाकी दुनिया को कोरोना के कहर  से बचाने के लिये मदद देने की कूटनीति शुरु कर दी है, वहीं भारत ने भी पहले क्षेत्रीय तौर पर और फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोरोना से निबटने की साझा रणनीति की पहल कर वाहवाही लूटी है।

'सार्क' को पुनर्जीवित करने की कोशिश!

कोरोना के बहाने ही भारत ने मृतप्राय दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) में आपसी बातचीत का सिलसिला फिर शुरु कर नई जान फूंकने की कोशिश की है। इसके साथ ही भारत ने 20 विकसित और विकासशील देशों के संगठन जी-20 में भी कोरोना से निबटने के लिये आपसी तालमेल से काम करने के लिये ‘सार्क’  की तर्ज  पर जी-20 शिखर वीडियो कांफ्रेंस आयोजित करने का प्रस्ताव रखा।  
सार्क देशों के बीच कोरोना चुनौती से निबटने के लिये भारत से दिया गया एक करोड़ डॉलर खर्च हो गया है। नेपाल, मालदीव और भूटान जैसे देशों ने कोरोना से निबटने के लिये भारत से एक करोड़ डालर की राशि से भी अधिक की मदद माँग ली।
भारत ने इसे पूरा करने का संकल्प ले कर इन देशों और बाकी दुनिया को संदेश दिया कि भारत अपने पड़ोसी देशों का संकट का साथी है।

सुनामी का कहर

इसकी एक बड़ी मिसाल भारत ने 2004 में पेश की थी, जब पूरे हिंद और प्रशांत महासागर के विशाल समुद्री इलाक़े में आए विनाशकारी  समुद्री भूकम्प सुनामी से भारत ने राहत व बचाव के लिये अपने सैनिक और नागरिक संसाधन तैनात कर बीसियों देशों के करोडों लोगों को कुछ घंटे के भीतर ही राहत पहुँचा कर ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की परम्परा के मुताबिक़ अपनी क्षमता  और परोपकारी नीतियों का अहसास दुनिया को कराया था।

कोरोना वायरस की वजह से दुनिया भर में 10 हज़ार से अधिक की मौतों से चीन के प्रति गुस्सा है। यह सोशल मीडिया में चीनियों के खाने-पीने की संस्कृति और कोरोना संकट से  सरकार द्वारा  तानाशाही तरीके से निबटने को लेकर की जा रही टिप्पणियों से साफ  है।

कोरोना और चीन

वहीं, दूसरे देशों की सरकारें खुले तौर पर चीन को इसके लिये ज़िम्मेदार ठहराने से बच भी रही  हैं, ताकि चीन इसे लेकर उस देश से नाराज़ नहीं हो जाए। दबी ज़ुबान से कई देशों के जैव-विशेषज्ञ इसके लिये चीन को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं, लेकिन सरकारें मौन हैं और सीधी टिप्पणी से बच रही हैं। 
जहाँ कोरोना वायरस का नाम चीन से जोड़ने को लेकर विवाद ख़ड़ा हो गया है, वहीं चीन से सहानुभूति और एकजुटता जाहिर कर ताक़तवर चीन को खुश करने की भी कोशिशें हुई हैं।

पाक राष्ट्रपति चीन में

जब भारत सहित सारी दुनिया की सरकारें ऊहान शहर से अपने नागरिकों और छात्रों को निकालने की योजनाओं को अंजाम देने में जुटी रहीं वहीं चीन के सदाबहार दोस्त पाकिस्तान ने चीन की खुशामद में न केवल यह कह दिया कि पाकिस्तान अपने छात्रों को ऊहान शहर से नहीं निकालेगा बल्कि मार्च के दूसरे सप्ताह में अपने राष्ट्रपति डा. आरिफ अलवी को चीन भेजकर दुनिया भर में अलग थलग हुए चीन को राहत भी पहुँचाई। 

ऐसे वक़्त जब चीन से सारी दुनिया दूरी बनाई हुई है, वहीं पाकिस्तान ऐसा देश बना जिसने अपने राष्ट्रपति को चीन भेजकर उसे राजनयिक मोर्चे पर अलग-थलग होने से बचाने का काम किया। पाकिस्तान के अलावा चीन के पड़ोसी मंगोलिया दूसरा देश था, जिसने चीन से सहानुभूति दिखाने और संकट के वक़्त चीन के साथ खड़ा होने का अहसास देने के लिये अपने राष्ट्रपति को चीन भेजा।

चीन-अमेरिका

दूसरी ओर कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर चीन और अमेरिका के बीच आपसी छींटाकशी भी हमने देखी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने कोरोना वायरस को ‘चीनी वायरस’ की संज्ञा दी तो चीन ने नाराज़़ हो कर कह दिया कि ऊहान शहर में अमेरिकी सेना ने ही कोरोना वायरस छोडा था। इसके बाद अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कोरोना वायरस को ‘ऊहान वायरस’ की संज्ञा देकर चीन की नाराज़गी बढ़ा दी।
चीन नहीं चाहता कि कोरोना वायरस का नाम चीन से जोड़ कर प्रचलित किया जाए जब कि विशेषज्ञों का कहना है कि सदियों से यह देखा गया है कि ‘स्पेनिश फ्लू’ या ‘लंदन प्लेग’, या फिर ‘जापानी इनसेफ़लाइटिस’ जैसी महामारियों को देशों के नाम से जानते हैं।

कोरोना और कश्मीर?

कोरोना के बहाने चीन और पाकिस्तान ने अपनी कुटिल कूटनीतिक चालें भी चलीं, जिसे भारत ने यह कहकर खारिज कर दिया कि कोरोना से बचने के लिये खड़े किये गए सहयोगी मंच का पाकिस्तान ने दुरुपयोग किया है। 
पाकिस्तान के राष्ट्रपति कोरोना संकट के बाद चीन से सहानुभूति दिखाने बीजिंग गए तो चीन और पाकिस्तान ने साझा बयान जारी कर भारत की जम्मू-कश्मीर नीति को लेकर भारत की निंदा करने वाला साझा बयान जारी कर दिया।
सार्क के राष्ट्रप्रमुखों के बीच जब गत रविवार को वीडियो कान्फ्रेंस हो रहा था, पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने भारत पर कटाक्ष किया कि जम्मू- कश्मीर में लगाई गई बंदिशों की वजह से वहाँ के लोगों को कोरोना से निबटने में दिक्कतें हो रही हैं।
साफ़ है कि जहाँ भारत ने कोरोना का इस्तेमाल सकारात्मक कूटनीति के लिये किया वहीं पाकिस्तान कोरोना का इस्तेमाल नकारात्मक कूटनीति में करने से नहीं चूका।
भारत ने 2004 में आए सुनामी की वजह से जहाँ दुनिया में अपनी नई छवि पेश की और सामरिक दुनिया में अपना अहम स्थान बनाया वहीं कोरोना कहर के दौरान भारत ने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो पहल की है। वह एक बार फिर सामरिक दुनिया में भारत की छवि मानवीय सहायता और राहत प्रदान करने वाले क्षेत्रीय नेता के तौर पर पेश करेगा।
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रंजीत कुमार
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