पाकिस्तान में विपक्षी दलों को आज नेशनल असम्बेली में हुए घटनाक्रम को लेकर उम्मीद नहीं थी। अभी तक वो तय नहीं कर पाए हैं कि आगे किस तरह बढ़ना है। उन्हें लगा था कि सदन में वोटिंग होगी और वे आसानी से इमरान खान को हरा देंगे और सरकार गिर जाएगी। इमरान खान ने संविधान के अनुच्छेद 5 का बहाना लेकर अविश्वास प्रस्ताव खारिज कराया और अपनी सरकार बचा ली। सदन में डिप्टी स्पीकर ने अनुच्छेद 5 का बहाना देकर जो किया, उस पर बहस शुरू हो गई है कि वो कितना सही या गलत है।पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने घटनाक्रम के बाद आज कहा कि पाकिस्तान में विपक्षी मोर्चा इमरान खान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव होने तक नेशनल असेंबली में धरना देगा।
पाकिस्तान की राष्ट्रीय सभा के उपाध्यक्ष कासिम सूरी द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के बाद ट्विटर पर भुट्टो जरदारी ने ट्वीट किया, सरकार ने संविधान का उल्लंघन किया है। अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान की अनुमति नहीं दी। एकजुट विपक्ष संसद नहीं छोड़ रहा है। हमारे वकील सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं। हम सभी संस्थानों से पाकिस्तान के संविधान की रक्षा, उसे बनाए रखने, बचाव और लागू करने का आह्वान करते हैं।
पाकिस्तान मुस्लिम लीग के शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में दखल देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में आज सरेआम लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया। संविधान की गरिमा को ताक पर रख दिया गया। माननीय सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को इस मामले में फौरन दखल देना चाहिए।
बता दें कि पाकिस्तान नेशनल असम्बेली का इजलास आज जब शुरू हुआ तो सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्य और सूचना मंत्री फव्वाद चौधरी ने एक प्रस्ताव पढ़ा कि बाहरी शक्तियों के इशारे पर इमरान खान सरकार को गिराया जा रहा है। हम डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी साहब से मांग करते हैं कि विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को राष्ट्रीय हित में खारिज किया जाए। इसके फौरन बाद डिप्टी स्पीकर सूरी ने प्रस्ताव को खारिज किए जाने की घोषणा की। इसके लिए उन्होंने पाकिस्तान संविधान के अनुच्छेद 5 का उल्लेख किया। इस घटनाक्रम के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान ने देश को संबोधित किया और कहा उन्होंने गवर्नर और राष्ट्रपति से नेशनल असम्बेली और राज्यों की असम्बेली भंग करने की सिफारिश की है। इमरान अपनी पार्टी के काडर, समर्थकों को चुनाव के लिए तैयार रहने को कहा है।प्रधानमंत्री इमरान खान ने राष्ट्रपति से तीन महीनों में चुनाव कराने के लिए कहा है। उन्होंने यह बात पाकिस्तान संविधान के नियमों का हवाला देकर कही है। लेकिन सवाल ये है कि क्या विपक्ष इमरान सरकार की देखरेख में तीन महीने के अंदर होने वाले चुनाव के प्रस्ताव को स्वीकार करेगा। वहां के संविधान के मुताबिक ऐसी स्थिति आने पर 90 दिनों में चुनाव कराना होता है।
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