कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को जितना ख़तरनाक समझा जा रहा है, यह उससे अधिक भयावह है। यह आशंका से बहुत अधिक लोगों को अब तक संक्रमित कर चुका होगा, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।
यह बात इससे साफ होती है कि दक्षिण अफ्रीका में वैज्ञानिकों व डॉक्टरों ने इसका पता लगाया, उसके पहले ही यह कम से कम 20 देशों में फैल चुका था। जाहिर है, इसने बड़ी तादाद में लोगों को प्रभावित किया होगा और वह अभी भी अनजान जगहों पर और अनजान लोगों के बीच फैल रहा होगा।
'द न्यूयॉर्क टाइम्स' के अनुसार, नीदरलैंड के नेशनल इंस्टीच्यूट फॉर पब्लिक हेल्थ एंड एनवायरनमेंट ने कहा है कि 19 और 23 नवंबर को जो नमूने लिए गए थे, उनमें ओमिक्रॉन वायरस पाए गए हैं।
यानी दक्षिण अफ्रीका में पाए जाने के पहले उससे हज़ारों किलोमीटर दूर के इलाक़े में ओमिक्रॉन वायरस मौजूद था।
कितने देशों में ओमिक्रॉन?
कुछ दिन पहले तक यह माना जा रहा था कि ओमिक्रॉन का संक्रमण अब तक कम से कम 13 देशों में फैल चुका है।
लेकिन ऐसे देशों की तादाद इससे ज़्यादा है, जहाँ ओमिक्रॉन पहुँच चुका है।
स्कॉटलैंड और पुर्तगाल में भी इस वैरिएंट के मामलों की पहचान की गई है। इंग्लैंड, इटली, जर्मनी, इज़राइल और मोरक्को जैसे देशों के बाद जापान ने भी सभी विदेशी यात्रियों पर प्रतिबंध लगा दिया है।
सदस्य देशों को तकनीकी ब्रीफिंग नोट में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अधिकारियों से निगरानी, टेस्टिंग और टीकाकरण को तेज़ करने का आग्रह किया है।
रफ़्तार तेज़!
यह अनुमान से अधिक तेज़ी से फैल रहा है, यह भी साफ है। इसे इससे समझा जा सकता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि वे तमाम लोग जिनकी उम्र 60 साल से अधिक है और जिनमें पहले से कोई रोग है, उन्हें अपनी यात्रा टाल देनी चाहिए।
इसके साथ ही ग्रीस के प्रधानमंत्री ने कहा है कि 60 साल से अधिक उम्र के हर व्यक्ति को कोरोना टीका लगवाना है, यह अनिवार्य है और जो लोग 16 जनवरी तक कोरोना टीका नहीं लगवा लेंगे, उन पर जुर्माना लगा दिया जाएगा।
जिस दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन वायरस पाया गया, वहां भी यह तेज़ी से फैल रहा है। दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि पहले जहां रोजाना 300 नए लोग कोरोना से संक्रमित हो रहे थे, अब यह तादाद 3000 के पार हो गई है।
दक्षिण अफ्रीका से नीदरलैंड गए मुसाफ़िरों में से 61 को कोरोना पॉज़िटिव पाया गया था, उनमें से 14 में ओमिक्रॉन वैरिएंट पाया गया था।
वैज्ञानिकों का कहना है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट अधिक ख़तरनाक इसलिए भी है कि अब तक यह नहीं पता चल सका है कि इसे कोरोना के टीकों से रोका जा सकता है या नहीं।
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