ओमिक्रॉन वैरिएंट से पहली मौत का मामला ब्रिटेन में सामने आया है। ब्रिटेन के ही प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन ने कल कहा था कि 'ओमिक्रॉन की तूफानी लहर आ रही है'। 24-25 नवंबर को पहली बार इस नये वैरिएंट का मामला दक्षिण अफ्रीका में आया था। इसके बाद अब तक कम से कम 57 देशों में इस नये वैरिएंट के मामले आ चुके हैं। भारत में ही ओमिक्रॉन के कम से कम 38 मामले सामने आ चुके हैं।
माना जाता है कि ब्रिटेन की सरकार आधिकारिक तौर पर इस नये वैरिएंट से मौत की घोषणा करने वाली पहली सरकार है। ब्रिटेन में ओमिक्रॉन के मामले काफ़ी तेज़ी से फैल रहे हैं। ब्रिटेन में रविवार को इस वैरिएंट के 1,239 और पुष्ट मामले दर्ज किए गए। वहाँ हर दो से तीन दिनों में ओमिक्रॉन के मामले दोगुने हो जा रहे हैं।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने कहा कि ओमिक्रॉन के क़रीब 40 प्रतिशत मामले राजधानी लंदन में हैं और अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या बढ़ रही है। उन्होंने कहा, 'दुख की बात है कि ओमिक्रॉन के कम से कम एक मरीज की मरने की पुष्टि की गई है।'
बॉरिस जॉनसन ने रविवार को ही बड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा, 'किसी को भी संदेह नहीं होना चाहिए- ओमिक्रॉन की एक तूफानी लहर आ रही है।' उन्होंने एक टेलीविज़न पर संबोधन में कहा कि देश के चिकित्सा सलाहकारों ने इस नये वैरिएंट से संक्रमण में तेजी से वृद्धि के कारण कोरोना सतर्कता के स्तर को बढ़ाया है। उन्होंने इस नये वैरिएंट के फैलने को एक आपातस्थिति बताया है क्योंकि हर दो से तीन दिनों में ओमिक्रॉन के मामले दोगुने हो जा रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि दिसंबर के अंत तक एक महीने में वयस्कों को बूस्टर खुराक देने का लक्ष्य है। पहले यह लक्ष्य अगले साल जनवरी के लिए रखा गया था।
इधर इंग्लैंड, वेल्स, स्कॉटलैंड, नॉर्दर्न आयरलैंड के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों ने कहा है कि ओमिक्रॉन ने सार्वजनिक और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अतिरिक्त और तेजी से जोखिम बढ़ाया है। एएफ़पी की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'शुरुआती साक्ष्य से पता चलता है कि ओमिक्रॉन डेल्टा की तुलना में बहुत तेजी से फैल रहा है और ओमिक्रॉन से लक्षणवाले रोग के ख़िलाफ़ टीके की सुरक्षा कम हो गई है।'
इंग्लैंड के अधिकारियों ने कहा है कि आने वाले हफ्तों में गंभीरता पर स्थिति स्पष्ट हो जाएगी, लेकिन ओमिक्रॉन से संक्रमित लोग अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं और इसके तेजी से बढ़ने की संभावना है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने भी कहा है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट पर कोरोना टीके का असर कम हो रहा है। हालाँकि अभी भी पक्के तौर पर ज़्यादा जानकारी इस वैरिएंट के बारे में नहीं आई है। पिछले हफ़्ते ही डब्ल्यूएचओ के एक शीर्ष अधिकारी ने एएफ़पी से कहा था कि ओमिक्रॉन पिछले दूसरे कोविड वैरिएंट की तुलना में ज़्यादा गंभीर मालूम नहीं पड़ता है। हालाँकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस वैरिएंट में वैक्सीन सुरक्षा को पूरी तरह से चकमा देने की ज़्यादा संभावना है।
डब्ल्यूएचओ के आपात स्थिति निदेशक माइकल रयान ने एक साक्षात्कार में कहा, 'शुरुआती आँकड़े यह संकेत नहीं देते हैं कि यह अधिक गंभीर है। वास्तव में, यदि कुछ भी है तो यह है कि कम गंभीरता की ओर इशारा करता है।'
उसके बाद दक्षिण अफ्रीका के सरकारी विशेषज्ञ ने संभावित बड़े ख़तरे को लेकर चेताया था। दक्षिण अफ्रीका के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज यानी एनआईसीडी निदेशक ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में पाया गया ओमिक्रॉन डेल्टा वैरिएंट से भी ज़्यादा संक्रामक हो सकता है। रायटर्स से साक्षात्कार में एनआईसीडी के कार्यकारी एग्जक्यूटिव डाइरेक्टर एड्रियन प्योरन ने कहा था, 'हमने सोचा था कि डेल्टा को क्या मात देगा? यह हमेशा से सवाल रहा है, कम से कम तेजी से फैलने के संदर्भ में, ...शायद यह विशेष वैरिएंट है।'
भारत में भी पिछले हफ़्ते इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी आईएमए ने ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर जो चेताया है वह चिंता की बड़ी वजह हो सकती है।
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