पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में विपक्ष के हमलों से परेशान इमरान खान की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं। पाकिस्तान मीडिया की खबरों के मुताबिक, इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) के 50 मंत्री अवाम के बीच नहीं दिखाई दे रहे हैं। पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने यह खबर दी है।
बता दें कि पाकिस्तान में विपक्षी दलों के गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट यानी पीडीएम ने इमरान के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है।
पीडीएम की ओर से इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है और संसद का जो नंबर गेम है, वह इमरान के पक्ष में नहीं दिखाई देता। बीते दिनों में इमरान को समर्थन देने वाले कई दलों ने भी बगावती तेवर दिखाए हैं और माना जा रहा है कि इमरान की हुकूमत के दिन अब गिने-चुने हैं।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, इन 50 मंत्रियों में से 25 केंद्रीय सरकार के मंत्री हैं। इसके अलावा राज्य सरकारों के सलाहकार, विशेष सहयोगी और चार मंत्री राज्य सरकार के भी हैं।
कुछ मंत्री मैदान में डटे
लेकिन इस सब के बीच भी इमरान खान की हुकूमत के कुछ मंत्री ऐसे हैं जो लगातार सरकार के हक में मीडिया के सामने आ रहे हैं। इनमें पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी, सूचना मंत्री फवाद चौधरी, ऊर्जा मंत्री हम्माद अज़हर, रक्षा मंत्री परवेज़ खटक, गृहमंत्री शेख रशीद शामिल हैं।
पीटीआई के कुछ सांसदों की बगावत के बाद सहयोगी दल भी इमरान की हुकूमत से नाराज हैं। पीटीआई के सहयोगी पाकिस्तान मुसलिम लीग (क़ायद), मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान और बलूचिस्तान आवामी पार्टी इमरान को छोड़कर विपक्ष का साथ देने जा रही है। कहा जा रहा है कि इन तीनों दलों के सांसद अविश्वास प्रस्ताव के हक में वोट करेंगे।
लेकिन हुकूमत के आला नेताओं ने नाराज चल रहे दलों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। शाह महमूद कुरैशी ने पाकिस्तान मुसलिम लीग (क़ायद) और मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान से बात की है।
इस बीच इमरान खान ने एक और सहयोगी दल जम्हूरी वतन पार्टी को भी खो दिया है। इस पार्टी के मुखिया शहजैन बुगती ने कहा है कि वह अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोट डालेंगे।
कुल मिलाकर इमरान खान की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं और विपक्षी नेताओं मरियम नवाज, शहबाज शरीफ, बिलावल जरदारी भट्टो, फजलुर रहमान सहित अन्य नेताओं ने उनकी मुश्किलों में इजाफा किया हुआ है। ऐसे वक्त में पीटीआई के मंत्रियों के जनता के बीच से गायब हो जाने की खबर निश्चित रूप से यह बताती है कि पीटीआई के अंदर सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है और उसकी हुकूमत के दिन गिने-चुने रह गए हैं।
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