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'ट्रंप लोकतंत्र के लिए ख़तरा हैं'- वोटिंग से पहले न्यूयॉर्क टाइम्स का स्टैंड

ऐसे समय में जब अमेरिका के अधिकतर मीडिया संगठनों ने किसी उम्मीदवार को एंडोर्स यानी समर्थन करने की वर्षों पुरानी अपनी परंपरा को तोड़ दिया है, वहीं न्यूयॉर्क टाइम्स सीना तानकर खड़ा है। न्यूयॉर्क टाइम्स के संपादकीय बोर्ड ने वोटिंग से ऐन पहले ट्रंप के लिए जो शब्द लिखे हैं, वे किसी भी अमेरिकी की आँखें खोलने वाले हैं। 

न्यूयॉर्क टाइम्स के संपादकीय बोर्ड ने सिर्फ़ 112 शब्दों में ट्रंप की बखिया उधेड़ दी है। इसने ट्रंप को झूठा बताया, ग़रीबों व मध्यवर्ग को तबाह करने वाला क़रार दिया, लोकतंत्र के लिए ख़तरनाक बताया और तानाशाही को बढ़ाने वाला बताया। इसने साफ़-साफ़ लिखा है कि डोनाल्ड ट्रंप लोकतंत्र के लिए ख़तरा थे और वह आगे भी ख़तरा रहेंगे। इसने कहा है कि ट्रम्प सरकार का इस्तेमाल विरोधियों के पीछे पड़ने के लिए करेंगे। अमेरिका के मौजूदा माहौल में न्यूयॉर्क टाइम्स का संपादकीय कितना अहम है, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर अख़बार ने संपादकीय में अमेरिकी मतदाताओं को संबोधित करते हुए क्या लिखा है। 

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न्यूयॉर्क टाइम्स का संपादकीय

'आप डोनाल्ड ट्रम्प को पहले से ही जानते हैं। वह नेतृत्व करने के लिए अयोग्य हैं। उनको देखें। उन लोगों की बात सुनें जो उन्हें सबसे बढ़िया जानते हैं। उन्होंने चुनाव को बदलने की कोशिश की और वह लोकतंत्र के लिए ख़तरा बने हुए हैं। उन्होंने रो (गर्भपात के अधिकार पर रो बनाम वेड केस) को पलटने में मदद की, जिसके भयानक परिणाम हुए। श्री ट्रम्प का भ्रष्टाचार और अराजकता चुनावों से परे है: यह उनका पूरा चरित्र है। वह बेहिसाब झूठ बोलते हैं। अगर वह फिर से चुने जाते हैं तो जी.ओ.पी. उसे रोक नहीं पाएगा। श्री ट्रम्प सरकार का इस्तेमाल विरोधियों के पीछे पड़ने के लिए करेंगे। वह सामूहिक निर्वासन की क्रूर नीति अपनाएँगे। वह गरीबों, मध्यम वर्ग और नियोक्ताओं पर कहर बरपाएँगे। ट्रम्प का एक और कार्यकाल जलवायु को नुकसान पहुंचाएगा, गठबंधनों को तोड़ देगा और तानाशाहों को मजबूत करेगा। अमेरिकियों को और बेहतर चाहिए। वोट करें।'

न्यूयॉर्क टाइम्स का ऐसा तीखा संपादकीय तब आया है जब अमेरिका के अधिकतर अख़बार भविष्यवाणी करने से पीछे हट रहे हैं। वे किसी उम्मीदवार को एंडोर्स यानी समर्थन करने की परंपरा को तोड़ रहे हैं।

अमेरिका का एक प्रतिष्ठित अख़बार वाशिंगटन पोस्ट के संपादकीय बोर्ड ने तो कमला हैरिस को एंडोर्स करने का फ़ैसला ले लिया था, लेकिन कंपनी के मालिक ने ऐन मौक़े पर इसको रोक दिया और अपनी लंबी परंपरा पलट दी। एक अन्य अख़बार ने भी अपनी परंपरा पलट दी और इस बार एंडोर्स नहीं करने का फ़ैसला लिया। वैसे, ट्रंप की बड़े-बड़े अख़बारों से नहीं पटती रही है। तो सवाल है कि क्या चुनाव जीतने के लिए यह कोई खेल खेला जा रहा है?

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों का समर्थन करने वाले अखबारों के संपादकीय पन्नों की परंपरा एक सदी से भी ज़्यादा पुरानी है। समाचार पत्र उस उम्मीदवार का समर्थन करके जागरूक मतदान को प्रोत्साहित करना चाहते हैं जिसके बारे में उन्हें लगता है कि वह उनके पाठकों को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों पर सबसे बेहतर नेतृत्व कर सकता है।

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एंडोर्समेंट यानी समर्थन का मतलब यह नहीं है कि अख़बार उम्मीदवार के लिए प्रचार करता है। अख़बार पत्रकारिता की नैतिकता को बनाए रखता है और निष्पक्ष कवरेज करता है। यही कारण है कि कई अख़बारों के अलग-अलग संपादकीय बोर्ड होते हैं जो विचार, संपादकीय और एंडोर्समेंट को संभालते हैं, और समाचार टीमों से अलग होते हैं।

अमेरिका में यह प्रथा कितनी पुरानी है, यह इससे समझा जा सकता है कि 11 अक्टूबर 1860 को द न्यूयॉर्क टाइम्स ने अब्राहम लिंकन को एंडोर्स किया था। यह भी तथ्य है कि समाचार पत्रों द्वारा समर्थित उम्मीदवार हमेशा जीतते नहीं हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट रिपोर्ट के अनुसार, 1897 में लगभग सभी न्यूयॉर्क समाचार पत्रों ने हारने वाले उम्मीदवारों का समर्थन किया था। हालाँकि, 1940 से 2016 तक लगभग सभी राष्ट्रपति चुनावों में जिस उम्मीदवार को सबसे अधिक समाचार पत्रों का एंडोर्समेंट हासिल हुआ, वह व्हाइट हाउस में प्रवेश कर गया। वाशिंगटन पोस्ट का मामला बेहद दिलचस्प है। 

वाशिंगटन पोस्ट के संपादकीय बोर्ड ने उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के समर्थन का मसौदा पहले ही तैयार कर लिया था। लेकिन वाशिंगटन पोस्ट के मुख्य कार्यकारी और प्रकाशक विल लुईस ने कह दिया कि अख़बार किसी को एंडोर्स नहीं करेगा।
वाशिंगटन पोस्ट के मुख्य कार्यकारी और प्रकाशक विल लुईस ने हाल ही में घोषणा की थी कि अखबार 5 नवंबर के चुनाव और भविष्य के चुनावों में राष्ट्रपति पद के लिए किसी उम्मीदवार का समर्थन नहीं करेगा। द न्यूयॉर्क टाइम्स ने रिपोर्ट दी थी कि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का समर्थन करने की अखबार की नीति को बदलने का फ़ैसला इसके मालिक जेफ बेजोस ने लिया था।
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कुछ दिन पहले लॉस एंजिल्स टाइम्स ने भी किसी उम्मीदवार का समर्थन नहीं करने का फ़ैसला किया था। 1988 के बाद यह पहली बार है जब वाशिंगटन पोस्ट किसी उम्मीदवार का समर्थन नहीं करेगा। एलए टाइम्स ने 1976-2004 तक कोई समर्थन नहीं किया, लेकिन 2008 में यह प्रथा फिर से शुरू कर दी थी।

बता दें कि ट्रम्प अमेरिकी राजनीतिक इतिहास में सबसे अधिक ध्रुवीकरण करने वाले व्यक्तियों में से हैं, जिनके विचारों और कारनामों ने अमेरिकियों को बाँट दिया है। 2016 से जब उन्होंने पहली बार जीत हासिल की, ट्रम्प मीडिया में अपनी आलोचना के प्रति बेहद शत्रुतापूर्ण रहे हैं और उन्होंने बार-बार द न्यूयॉर्क टाइम्स और द वाशिंगटन पोस्ट जैसे समाचार पत्रों की 'फर्जी खबर' के रूप में निंदा की है।

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क़मर वहीद नक़वी
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