कोलंबिया विश्वविद्यालय के अध्यक्ष ने बताया कि शिक्षक नेताओं और छात्र आंदोलनकारियों के बीच शिविरों को हटाने के लिए पिछले सप्ताह से बातचीत आगे नहीं बढ़ी है। यह विश्वविद्यालय विरोध प्रदर्शन का केंद्र बना हुआ है। पुलिस द्वारा लगभग 50 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने और इसी तरह के एक शिविर को साफ़ करने के लगभग एक सप्ताह बाद, येल विश्वविद्यालय में प्रदर्शनकारियों ने दर्जनों तंबू के साथ एक नया शिविर स्थापित कर दिया।
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स में रविवार को प्रदर्शनों के दौरान तीखी बहस में दोनों पक्षों के प्रदर्शनकारी बिड़ गए और धक्का-मुक्की की। यूसीएलए स्ट्रैटेजिक कम्युनिकेशंस की वाइस चांसलर मैरी ओसाको ने एक बयान में कहा, "प्रदर्शनकारियों के बीच कुछ विवाद होने के बाद विश्वविद्यालय ने सुरक्षा बढ़ा दी है।" किसी की गिरफ्तारी या घायल होने की कोई रिपोर्ट नहीं है।
ब्लूमिंगटन में इंडियाना यूनिवर्सिटी, एरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी और सेंट लुइस में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी सहित विभिन्न परिसरों से शनिवार को लगभग 275 लोगों को गिरफ्तार किया गया। 18 अप्रैल को न्यूयॉर्क पुलिस द्वारा कोलंबिया विश्वविद्यालय में फ़िलिस्तीनी समर्थक विरोध शिविर को हटाने और 100 से अधिक प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने के बाद से देश भर में गिरफ़्तारियों की संख्या 900 से अधिक हो गई है।
गिरफ्तार किए गए छात्रों की दुर्दशा विरोध प्रदर्शन का एक मुख्य हिस्सा बन गई है। छात्रों और शिक्षकों की बढ़ती संख्या प्रदर्शनकारियों के लिए माफी की मांग कर रही है। मुद्दा यह है कि क्या निलंबन और कानूनी रिकॉर्ड छात्रों को उनके भावी जीवन तक प्रभावित करेंगे। यानी उन्हें नौकरी आदि मिलने में दिक्कत तो नहीं आएगी। क्योंकि अधिकांश कंपनियां इजराइली मूल के लोगों की हैं या वहां की फंडिंग से संचालित हैं।
प्रदर्शन की शुरुआत कैसे हुई
7 अक्टूबर को इज़राइल ने ग़ज़ा पर जवाबी हमला किया और इजराइली में जितने लोग (1200) मारे गए थे, उससे ज्यादा लोगों को ग़ज़ा में बम बरसाकर मार डाला। वो सिलसिला तभी से चल रहा है। ग़ज़ा में कत्ल-ए-आम को 220 दिन से ज्यादा हो चुके हैं। ग़ज़ा में जब इज़राइल का जनसंहार जारी रहा तो प्रतिक्रिया के रूप में कुछ छात्रों ने अमेरिका में देशव्यापी कैंपस विरोध प्रदर्शन शुरू किया। दक्षिण इजराइल पर हमास के हमले में लगभग 1,200 लोग मारे गए और लगभग 250 को बंधक बना लिया। स्थानीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, हमास को उखाड़ फेंकने की कसम खाते हुए, इज़राइल ने ग़ज़ा पट्टी में 34,000 से अधिक फिलिस्तीनियों को मार डाला है। इनमें बच्चों और महिलाओं की तादाद ज्यादा है। महत्वपूर्ण यह है कि इजराइल आज भी हमास को खत्म नहीं कर पाया है और 120 बंधक अभी भी हमास के कब्जे में हैं। यह तथ्य बताता है कि इजराइल और प्रधानमंत्री नेतन्याहू हमास को खत्म नहीं कर पाए, जिसकी उन्होंने कसम खाई थी।
इज़राइल और उसके समर्थकों ने अमेरिका और अन्य देशों में विश्वविद्यालय के विरोध प्रदर्शनों को यहूदी विरोधी करार दिया है, जबकि इज़राइल के आलोचकों का कहना है कि वह अपने विरोधियों को चुप कराने के लिए ऐसे आरोपों का इस्तेमाल करता है। हालाँकि कुछ प्रदर्शनकारियों में यहूदी भी हैं, उनका कहना है कि यह एक शांतिपूर्ण आंदोलन है जिसका उद्देश्य फ़िलिस्तीनी अधिकारों की रक्षा करना और युद्ध का विरोध करना है। पूरे अमेरिका में न्यूयॉर्क, कैलिफ़ोर्निया, मिसौरी, इंडियाना, मैसाचुसेट्स, वर्मोंट और वर्जीनिया सहित विभिन्न स्थानों पर छात्र प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।
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