मेटा, अमेज़ॅन जैसी कंपनियाँ अपने स्टाफ में अलग-अलग नस्ल, जाति, रंग के कर्मचारियों को रखने के अपने कार्यक्रमों को ख़त्म क्यों कर रहे हैं? पहले अपने स्टाफ़ में ऐसी विविधता के लिए जहाँ ये कंपनियाँ अलग से पहल करती थीं, वहीं अब वे ऐसे कार्यक्रम कम कर रहे हैं। क्या इसके लिए उनपर अब कुछ दबाव है?
मेटा, अमेज़ॅन जैसी कंपनियाँ अलग नस्ल, जाति, रंग के स्टाफ के पक्ष में नहीं?
- दुनिया
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- 14 Jan, 2025
क्या कंपनियों व फर्मों को पहले जहाँ स्टाफ में लिंग, रंग, आयु, जातीयता, शारीरिक क्षमता जैसी विविधता वाली पहलें फायदेमंद लगती थीं उससे अब वे पीछा क्यों छुड़ा रहे हैं? क्या इसके लिए उनपर दबाव है?

दरअसल, ख़बर आई है कि मेटा और अमेज़ॅन अपने विविधता कार्यक्रमों को कम कर रहे हैं। ये कॉर्पोरेट भी अमेरिका की उन फर्मों में शामिल हो रहे हैं जो ऐसी भर्ती और प्रशिक्षण वाली पहलों से पीछे हट रही हैं। ये कंपनियाँ और फर्म क़ानूनी और राजनीतिक जोखिमों का हवाला देते हुए ऐसा कर रही हैं। विविधता वाले ऐसे कार्यक्रमों की रूढ़िवादी लोग आलोचना करते रहे हैं।