कनाडा में शीर्ष भारतीय राजनयिक ने कहा है कि आरोप लगाने से काम नहीं चलता है और इसके लिए सबूत होना चाहिए। खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में हत्या के मामले में उन्होंने पूछा है कि आख़िर सबूत कहा हैं।
उन्होंने कनाडा से इस आरोप को साबित करने के लिए सबूत देने की मांग की है कि कथित तौर पर भारतीय एजेंटों ने ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर को मार डाला था। भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा ने 'द ग्लोब एंड मेल' को बताया कि भारत को इस आरोप के समर्थन में कनाडा या उसके सहयोगियों से कोई विश्वसनीय सबूत नहीं मिला है कि जून में निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट शामिल थे। दो महीने पहले कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा ऐसा दावा किए जाने पर भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय संबंध ख़राब हो गए।
निज्जर एक भारतीय आतंकवादी और प्रतिबंधित खालिस्तान टाइगर फोर्स का प्रमुख था। वह 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के एक गुरुद्वारे के बाहर मारा गया था। वह भारत के सबसे वांछित आतंकवादियों में से एक था। उस पर 10 लाख रुपये का नकद इनाम था। इस मामले को जब कनाडा के पीएम ने उठाया तो कनाडा और भारत के बीच संबंध सितंबर के अंत से तनावपूर्ण हो गए हैं। भारत ने 41 कनाडाई राजनयिकों की राजनयिक छूट रद्द कर दी, जिससे उन्हें 20 अक्टूबर तक भारत छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।
कनाडाई खुफिया सूत्रों का दावा है कि उन्होंने एक बातचीत को पकड़ा और फाइव आईज (अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से बना एक खुफिया गठबंधन) सहयोगी से खुफिया जानकारी प्राप्त की। इसमें भारतीय एजेंटों को निज्जर की हत्या से जोड़ने वाली जानकारी होने का दावा किया गया। कनाडा ने तब से कई बार दावा किया है कि उसने भारत के साथ सबूत साझा किए हैं और भारत ने हर बार इनकार किया है। इसने कहा है कि ऐसा कोई भी सबूत उसे नहीं मिला है।
हालाँकि उन्होंने उच्चस्तरीय अधिकारी का नाम नहीं बताया। उन्होंने कहा कि कनाडा या कनाडा के सहयोगियों ने भारत को इस बात के ठोस सबूत नहीं दिखाए हैं कि निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट शामिल थे। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद भारत व्यापारिक संबंधों का विस्तार करना और व्यापार समझौते पर बातचीत की मेज पर लौटना चाहेगा।
बता दें कि सितंबर महीने में कनाडा ने भारत के साथ प्रस्तावित व्यापार संधि पर बातचीत रोक दी थी। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता को लेकर वार्ता होनी थी। लेकिन रायटर्स ने सितंबर महीने में रिपोर्ट दी थी कि एक अधिकारी ने कहा है कि कनाडाई व्यापार मंत्री मैरी ने अक्टूबर के लिए तय भारत के लिए एक व्यापार मिशन को स्थगित कर दिया है।
यह घटनाक्रम तब हुआ जब नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन से इतर दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच मनमुटाव की ख़बरें आई थीं।
ख़बरें आई थीं कि कनाडा में भारत विरोधी गतिविधियों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडों के समक्ष कड़ी आपत्ति जताई थी। रिपोर्ट तो यह भी थी कि प्रधानमंत्री मोदी कनाडाई पीएम से मुलाकात के लिए ठीक से समय भी नहीं दे पाए और इन वजहों से राजनयिक संबंध ख़राब होते गए।
रिपोर्ट है कि जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान कई विश्व नेताओं के साथ औपचारिक द्विपक्षीय बैठकें करने वाले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को नजरअंदाज कर दिया और एक छोटी अनौपचारिक बैठक ही की। हालाँकि पीएम मोदी ने ट्वीट किया था कि उन्होंने भारत कनाडा संबंध को लेकर पूरी बातचीत की थी।
कनाडा में खालिस्तान समर्थक समूहों की गतिविधियों को लेकर दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं। जुलाई में कनाडा के कुछ इलाकों में वहां तैनात वरिष्ठ भारतीय राजनयिकों के नाम वाले पोस्टर सामने आने के कुछ दिनों बाद भारत ने कनाडाई दूत को तलब किया था।
भारत के पंजाब के बाहर कनाडा में सिखों की आबादी सबसे अधिक है, और यह देश कई भारत-विरोधी प्रदर्शनों का स्थल रहा है। 10 सितंबर को जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर मोदी और ट्रूडो के बीच बैठक के बाद भारत ने कड़े शब्दों में एक बयान जारी किया था, 'पीएम मोदी ने कनाडा में चरमपंथी तत्वों की भारत विरोधी गतिविधियों को जारी रखने के बारे में हमारी मज़बूत चिंताओं से अवगत कराया। वे अलगाववाद को बढ़ावा दे रहे हैं और भारतीय राजनयिकों के खिलाफ हिंसा भड़का रहे हैं, राजनयिक परिसरों को नुक़सान पहुंचा रहे हैं, और कनाडा में भारतीय समुदाय और उनके पूजा स्थलों को धमकी दे रहे हैं।
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