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पीएम मोदी के साथ कनाडा के पीएम ट्रूडो

भारत-कनाडा तनातनीः अब न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, यूके का भी रुख ठीक नहीं

अमेरिका ने मंगलवार को दावा किया था कि भारत पिछले साल खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच में कनाडा के साथ सहयोग नहीं कर रहा है। विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर की यह टिप्पणी दिल्ली और ओटावा के बीच गहराते राजनयिक विवाद के बीच आई। भारत ने कनाडा के दावों को दृढ़ता से खारिज कर दिया। भारत ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर राजनीतिक लाभ के लिए कनाडा के बड़े सिख समुदाय को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए आरोपों को "निरर्थक" बताया है।

कनाडा अब कह रहा है कि निज्जर की हत्या में भारत की जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई गिरोह का हाथ है। पहली बार कनाडा ने कहा कि वो यह आरोप सबूत मिलने के बाद लगा रहा है। कनाडा ने भारत के हाईकमिश्नर को भी आरोपों के घेरे में घसीटा भारत ने आरोपों को गलत बताया और अपने हाईकमिश्नर को कनाडा से वापस बुला लिया। साथ ही भारत ने कनाडा के 6 राजनयिकों को यहां से निष्कासित कर दिया। लेकिन अब इस सारे विवाद में फाइव आईज गठजोड़ के देश कनाडा के समर्थन में आ गए हैं। यूएस का बयान मंगलवार को सामने आया था। अब न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और यूके भी बोल रहे हैं।
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न्यूजीलैंड ने भी भारत के खिलाफ कनाडा के आरोपों पर आवाज उठाई है। न्यूजीलैंड के विदेश मामलों के मंत्री विंस्टन पीटर्स ने कहा, "कनाडा द्वारा न्यूजीलैंड को उसके दक्षिण एशियाई समुदाय के सदस्यों के खिलाफ हिंसा और हिंसा की धमकियों की चल रही आपराधिक जांच पर उसकी हालिया घोषणाओं के बारे में जानकारी दी गई है। कनाडाई कानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा सार्वजनिक रूप से बताया गया कथित आपराधिक आचरण, यदि साबित हुआ, तो बहुत चिंताजनक होगा"।

न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री ने भारत का नाम लिये बिना आगे कहा-  साथ ही, हम न्यूजीलैंड या विदेश में चल रही आपराधिक जांच के विवरण पर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं, सिवाय इसके कि यह महत्वपूर्ण है कि कानून के नियम और न्यायिक प्रक्रियाओं का सम्मान और पालन किया जाए। न्यूज़ीलैंड की आबादी विविध है, जिसमें एशिया, प्रशांत और यूरोप के विभिन्न देशों से सांस्कृतिक संबंध रखने वाले बड़े समुदाय हैं। हम उम्मीद करते हैं कि ऐसे सभी समुदाय कानूनी रूप से और सम्मानपूर्वक कार्य करेंगे और उनके साथ व्यवहार किया जाएगा।

भारतीय न्यूज वेबसाइट द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया का भी भारत विरोधी रुख सामने आया है। ऑस्ट्रेलियाई विदेश मामलों और व्यापार विभाग के एक प्रवक्ता ने दि प्रिंट को बताया, "ऑस्ट्रेलिया ने कनाडा में जांच के तहत आरोपों के बारे में अपनी चिंताओं और कनाडा की न्यायिक प्रक्रिया के प्रति हमारे सम्मान को स्पष्ट कर दिया है। हमारी सैद्धांतिक स्थिति यह है कि सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान किया जाता है और कानून के शासन का सम्मान किया जाना चाहिए।”

दि प्रिंट ने लिखा है- हालाँकि, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ ने मंगलवार को एक प्रेस वार्ता के दौरान भारत-कनाडा राजनयिक विवाद पर किसी भी सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया। ऑस्ट्रेलिया फ़ाइव आइज़ और क्वाड का भी सदस्य है। अल्बानीज ने कहा कि “मैं कनाडा के प्रधान मंत्री से हर समय बात करता रहता हूं। अंतरराष्ट्रीय नेताओं के साथ अपने संबंधों में मैं जो करता हूं वह यह है कि मैं उनके साथ उचित चर्चा करता हूं और इस तरह हम काम करते हैं। और इसीलिए, मेरी सरकार अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में इतनी प्रभावी रही है।”

यूके का रुख क्या है

यूके के प्रधानमंत्री कार्यालय ने मंगलवार को ट्रूडो और ब्रिटिश प्रधान मंत्री कीर स्टार्मर के बीच हुई बातचीत का विवरण प्रकाशित किया, जो सोमवार देर शाम हुई थी। बयान में कहा गया है- “उन्होंने कनाडा में जांच के तहत आरोपों के संबंध में हालिया घटनाक्रम पर चर्चा की। दोनों कानून के शासन के महत्व पर सहमत हुए। वे जांच के निष्कर्ष आने तक निकट संपर्क में रहने पर सहमत हुए।''
इस तरह भारत-कनाडा संबंधों को लेकर और निज्जर हत्याकांड के तमाम पहलुओं को लेकर फाइव आईज गठजोड़ का रुख कम से कम भारत के समर्थन में नहीं है। यूएस, न्यूजीलैंड का तो बयान ही एक तरह से भारत विरोधी है। ऑस्ट्रेलिया और यूके हर देश की संप्रभुता का सम्मान और कानून का पालन करने की बात कह रहे हैं। एक तरह से यह भी भारत पर दबाव बनाने वाला बयान है। 
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क़मर वहीद नक़वी
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