भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस्लामाबाद में एससीओ बैठक में चीन और पाकिस्तान पर आतंकवाद को लेकर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि अगर दो देशों के बीच सीमा पार की गतिविधियों में उग्रवाद और अलगाववाद की विशेषता है तो इससे द्विपक्षीय व्यापार, संबंधों और अन्य गतिविधियों में मदद मिलने की संभावना नहीं है।
जयशंकर ने इस्लामाबाद में शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ के दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में कहा, 'यह सिद्ध बात है कि विकास और वृद्धि के लिए शांति और स्थिरता की ज़रूरत होती है। और जैसा कि चार्टर में कहा गया है, इसका मतलब है 'तीन बुराइयों' का मुकाबला करने में दृढ़ होना होगा और इससे समझौता नहीं किया जाना होगा। अगर सीमा पार की गतिविधियों में आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद की विशेषता है, तो वे समानांतर रूप से व्यापार, ऊर्जा प्रवाह, कनेक्टिविटी और लोगों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की संभावना नहीं रखते हैं।'
Delivered 🇮🇳’s national statement at the SCO Council of Heads of Government meeting today morning in Islamabad.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) October 16, 2024
SCO needs to be able and adept at responding to challenges facing us in a turbulent world. In this context, highlighted that:
➡️ SCO’s primary goal of combatting… pic.twitter.com/oC2wHsWWHD
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह टिप्पणी पाकिस्तान के शहबाज शरीफ और चीन के ली कियांग की मौजूदगी में की। चीन और पाकिस्तान का परोक्ष रूप से ज़िक्र करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि 'अगर विश्वास की कमी है या सहयोग अपर्याप्त है, अगर दोस्ती में कमी आई है और अच्छे पड़ोसी की भावना कहीं गायब है, तो निश्चित रूप से आत्मनिरीक्षण करने और समाधान करने के कारण हैं।'
जयशंकर ने कहा, 'अगर हम चार्टर की शुरुआत से लेकर आज की स्थिति तक तेजी से आगे बढ़ें, तो ये लक्ष्य और ये कार्य और भी अहम हो जाते हैं। इसलिए, यह ज़रूरी है कि हम ईमानदारी से बातचीत करें। ...इसी तरह, यह तभी संभव है जब हम चार्टर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पूरी ईमानदारी से दोहराएँ, तभी हम सहयोग और एकीकरण के लाभों को पूरी तरह से महसूस कर सकते हैं, जिसकी इसमें परिकल्पना की गई है।'
इस वर्ष एससीओ शासनाध्यक्ष परिषद की अध्यक्षता के लिए पाकिस्तान को बधाई देते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत ने सफल अध्यक्षता के लिए अपना पूरा समर्थन दिया है। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने आतंकवाद को लेकर चेताया भी।
विदेश मंत्री जयशंकर ने जोर देकर कहा कि एससीओ का आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से मुकाबला करने का प्राथमिक लक्ष्य मौजूदा समय में और भी अहम हो जाता है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण और पुनर्संतुलन आज की वास्तविकताएं हैं और एससीओ देशों को इसे आगे बढ़ाने की जरूरत है।
एससीओ के शासनाध्यक्षों की परिषद की बैठक में जयशंकर ने आगे कहा, 'सहयोग आपसी सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित होना चाहिए, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता देनी चाहिए और एकतरफा एजेंडे पर नहीं, बल्कि वास्तविक साझेदारी पर आधारित होना चाहिए।'
जयशंकर ने स्थिरता और समग्र विकास की दिशा में भारत की वैश्विक पहलों और राष्ट्रीय प्रयासों को भी गिनाया। इसमें अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन, मिशन लाइफ़ जो टिकाऊ जीवन शैली की वकालत करता है, योग को बढ़ावा देना, वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन जैसे प्रयास शामिल हैं।
मंत्री ने कहा कि दुनिया कठिन समय से गुज़र रही है, उन्होंने दो बड़े संघर्षों का ज़िक्र किया, जिनमें से प्रत्येक का वैश्विक प्रभाव है, साथ ही विकासशील दुनिया कोविड-जनित तबाही, बढ़ते कर्ज और अन्य चुनौतियों से उबरने के लिए संघर्ष कर रही है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि इसका समाधान आपसी विश्वास, दोस्ती, अच्छे पड़ोसी होने और बहुआयामी, विशेष रूप से क्षेत्रीय, सहयोग को बढ़ावा देने में निहित है।
भारत ने किया चीन की बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव का विरोध
एससीओ शिखर सम्मेलन में भारत ने चीन की बेल्ट एंड रोड पहल यानी बीआरआई के प्रति अपना विरोध जताया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बुधवार को सदस्य देशों से आग्रह किया कि वे इस तरह की कनेक्टिविटी परियोजनाओं को संकीर्ण राजनीतिक चश्मे से न देखें।
शरीफ ने अपने उद्घाटन भाषण में क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के लिए बीआरआई और सीपीईसी जैसी परियोजनाओं के विस्तार के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कनेक्टिविटी के लिए अधिक सहयोगात्मक दृष्टिकोण का आह्वान किया जो पूरे एससीओ क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक प्रगति को बढ़ा सकता है।
एससीओ सत्र की शुरुआत करने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा, 'हमें राजनीतिक मतभेदों के बजाय सहयोग को प्राथमिकता देनी चाहिए, अपनी उपलब्धियों को आगे बढ़ाना चाहिए, साझा चुनौतियों का समाधान करना चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए कि एससीओ हमारे लोगों के लिए स्थिरता, विकास और पारस्परिक लाभ का प्रतीक बना रहे।'
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