बीते कुछ महीनों में भारत से बेहतर संबंध बनाने के संकेत दे चुका पाकिस्तान फिर से कश्मीर के मसले पर आकर अड़ गया है। याद दिला दें कि कुछ दिन पहले पाकिस्तान सरकार की आर्थिक मामलों की को-ऑर्डिनेशन कमेटी ने भारत से कपास, चीनी और धागे का आयात शुरू करने को मंजूरी दे दी थी लेकिन बाद में ख़बर आई कि उसने इस पर यू टर्न ले लिया है।
भारत के साथ व्यापार शुरू करने के मसले पर शुक्रवार को इमरान ख़ान ने कैबिनेट की बैठक बुलाई। इस बैठक में विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी, सुरक्षा मामलों पर इमरान के विशेष सहायक मोईद यूसुफ़ भी शामिल रहे।
देखिए, दोनों देशों के रिश्तों पर बातचीत-
मोईद ने कहा कि जब तक कश्मीर के मामले पर आगे बात नहीं होगी और भारत कश्मीर पर अपने फ़ैसले की समीक्षा नहीं करेगा, आगे नहीं बढ़ा जा सकता। उन्होंने कहा कि अमन होना चाहिए लेकिन उसकी शर्तें साफ हैं।
विपक्ष ने की थी आलोचना
निश्चित रूप से इमरान ख़ान को यह फ़ैसला विपक्ष के दबाव के आगे झुकते हुए ही लेना पड़ा है। क्योंकि जैसे ही यह ख़बर आई थी कि पाकिस्तान भारत से कुछ चीजों का आयात करेगा, वहां के विपक्ष और पत्रकारों ने इस फ़ैसले की कड़ी आलोचना की थी।
पाकिस्तान मुसलिम लीग (नवाज़) ने कहा था कि क्या भारत ने अनुच्छेद 370 पर अपना फ़ैसला वापस ले लिया है, जो इमरान सरकार उसके साथ व्यापार शुरू कर रही है। कुछ पत्रकारों ने भी हुक़ूमत के इस फ़ैसले पर सवाल उठाया था।
धुंधली होती उम्मीद
बहरहाल, पिछले दो महीने में दोनों देशों के बीच संबंध बेहतर होने की जो उम्मीद जगी थी, वो एक बार फिर से धुंधली होने लगी है। बीते दिनों में नरेंद्र मोदी और इमरान ख़ान के बीच खतो-खिताबत का दौर चला था। स्थायी सिंधु आयोग की बैठक में शामिल होने के लिए पाकिस्तान से अफ़सरों का एक दल भारत आया था और घुड़सवारों की एक टीम भी ग्रेटर नोएडा आई थी।
इससे पहले इसी साल फ़रवरी में दोनों देश लाइन ऑफ़ कंट्रोल (एलओसी) पर शांति बहाली और पुराने समझौतों पर अमल करने के लिए राजी हो गए थे और भारत ने इमरान ख़ान के विशेष विमान को भारत के एयरस्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी थी। लेकिन इमरान ख़ान के इस बयान के बाद आगे बढ़ रही बात बीच में अटक सकती है।
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