फ़्रांस में पिछले दिनों जो कुछ हुआ उसने हमें अपने पास- पड़ोस के स्वरों से यह सुनिश्चित करवा दिया कि हम लगातार और बुरी तरह से रेजीमेंटेड होते चले जा रहे हैं। भारत में ग़ैर- मुसलिम समाज का बहुमत जहाँ इन घटनाओं की आलोचना में फ़्रांस के साथ खड़ा होने की जल्दी में था, वहीं मुसलिम समाज का बहुमत फ़्रांस की लानत- मलामत में और किंतु- परंतु के साथ बर्बर हत्यारों की निंदा करने की जगह बात बदलने में।
फ़्रांस: राजनीतिक इसलाम पहचानना ज़रूरी क्यों!
- दुनिया
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- 3 Nov, 2020

राजनैतिक इसलाम ने, इसलाम मानने वालों से दुनिया भर में बीते कुछ दशकों में 20वीं सदी में मनुष्यों के हक़ में हासिल किये तमाम फ़ैसलों को उलट दिया है। सबसे ज़्यादा नुक़सान औरतों का किया है। उनकी आज़ादी और समाजिक भूमिका छीनकर उन पर पुरुषों की ग़ुलामी थोप दी है और हिजाब-बुरक़े से ढँक दिया गया है। दिलचस्प बात यह है कि यह तर्क गढ़ा गया है कि मुसलिम महिलाओं ने खुद यह फ़ैसला किया है।