अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने चीन पर आँकड़ों को छुपाने का आरोप लगाते हुए दावा किया है कि कोरोना वायरस से चीन में अमेरिका से कहीं ज़्यादा मौतें हुई हैं। उन्होंने कहा कि किसी दिन वह इसको और स्पष्ट करेंगे। वैसे, आधिकारिक रूप से अमेरिका में संक्रमित लोगों की संख्या 7 लाख 38 हज़ार पहुँच चुकी है और 39 हज़ार लोगों की मौत हो चुकी है। चीन में संक्रमित लोगों की संख्या 82 हज़ार 735 है और मरने वालों की संख्या 4632 है। ट्रंप का यह बयान तब आया है जब चीन ने दो दिन पहले ही अपने आँकड़ों को संशोधित किया है और इसके बाद मृतकों की संख्या में 1300 लोगों की बढ़ोतरी हो गई है।
बता दें कि चीन में कोरोना से मरने वालों की संख्या गुरुवार को जहाँ 3342 थी वह शुक्रवार को बढ़कर 4636 हो गयी। यानी एक दिन में ही यह आँकड़ा क़रीब 40 फ़ीसदी बढ़ गया। इन लोगों की मौतें तो पहले ही हुई थीं, लेकिन इनकी मौत के आँकड़े कोरोना वायरस से होने वाली मौत के आँकड़े में शामिल नहीं थे। इसमें से क़रीब 1300 मौत के आँकड़े तो हुएई प्रांत के उस वुहान शहर में जोड़े गए हैं जो चीन में इस महामारी का केंद्र था। वुहान ही वह शहर है जहाँ से कोरोना वायरस का पहला मामला आया था।
ट्रंप ने शनिवार को ह्वाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में पत्रकारों से कहा, 'हम नंबर वन नहीं हैं, चीन नंबर वन है, यह आप भी समझते हैं। वे मौत के मामले में हमसे आगे हैं। यह आसपास भी नहीं है।' ट्रंप ने चीन में मौत के आँकड़ों पर अपने संदेह के समर्थन में तर्क दिया कि जब इंग्लैंड, फ्रांस, बेल्जियम, इटली और स्पने में ज़बरदस्त स्वास्थ्य सुविधाओं के बावजूद मृत्यु दर ज़्यादा है तो चीन में यह सिर्फ़ 0.33 फ़ीसदी है। ट्रंप ने ज़ोर देकर कर कहा कि चीन में मौत के सराकरी आँकड़े अवास्तविक हैं।
चीन को धमकी!
प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान ट्रंप ने चीन को चेताया भी। पत्रकार के एक सवाल के जवाब में ट्रंप ने कहा कि यदि कोरोना वायरस महामारी को दुनिया में जानबूझकर फैलने दिया गया है तो चीन को इसकी क़ीमत चुकानी पड़ेगी। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि इसे चीन में ही रोका जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया और अब इसी कारण पूरी दुनिया संकट का सामना कर रही है।
ट्रंप ने कहा कि क्या वह एक भूल थी या जानबूझकर ऐसा किया गया? इसके साथ ही उन्होंने कहा, 'इन दोनों ही स्थितियों में उन्हें (चीन) हमें इसे जानने देना चाहिए था। हमने जानना चाहा लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। मुझे लगता है कि उन्हें पता था कि कुछ बहुत बुरा है और वे इससे शर्मसार थे।' ट्रंप ने यह भी कहा कि वे इस मामले की जाँच करा रहे हैं।
यह पहली बार नहीं है कि ट्रंप चीन पर ऐसा आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने तो यह भी आरोप लगाया था कि चीन ने कोरोना वायरस की जानकारी छुपाई और डब्ल्यूएचओ इसमें उसका साथ देता रहा। इसके बाद ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ को अमेरिका से दी जानी वाली फंडिंग रोक दी है। फ़िलहाल डब्ल्यूएचओ को पैसे देने वालों में अमेरिका सबसे बड़ी भूमिका निभाता है। 2019 में ही इसने 400 मिलियन डॉलर दिया था जो डब्ल्यूएचओ के कुल बजट का क़रीब 15 फ़ीसदी था। बता दें कि सात अप्रैल को ही ट्रंप ने ट्वीट कर डब्ल्यूएचओ को फंडिंग रोकने की धमकी दी थी। ट्रंप ने सीधे शब्दों में डब्ल्यूएचओ को चीन के प्रति पक्षपाती क़रार दिया था।
दुनिया के कई देश चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन द्वारा जनवरी से ही जारी किए जा रहे आँकड़ों पर संदेह जताते रहे हैं, लेकिन चीन इनको खारिज करता रहा है।
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