कोरोना का डेल्टा वैरिएंट जैसे-जैसे दुनिया में फैल रहा है कोरोना का नये सिरे से ख़तरा बढ़ता जा रहा है। बचने का एक तरीक़ा है वैक्सीन। लेकिन वैक्सीन तो पर्याप्त रूप से उपलब्ध नहीं है। और है भी तो उन देशों के पास जो संपन्न और तकनीकी तौर पर उन्नत हैं। यानी साफ़ कहें तो अमेरिका, यूरोपीय देश, चीन और दूसरे विकसित देश तो टीके लगा लेंगे, लेकिन एशिया और अफ्रीका के उन ग़रीब मुल्कों का क्या होगा जो न तो आर्थिक रूप से सक्षम हैं और न ही तकनीकी तौर पर इतने विकसित कि वे वैक्सीन बना या खरीद लेंगे। यही वजह है कि अधिकतर विकसित देश जहाँ अपनी 50 फ़ीसदी से भी ज़्यादा आबादी को पूरे टीके लगा चुके हैं वहीं कई ग़रीब देशों में तो एक फ़ीसदी भी टीके नहीं लगाए जा सके हैं। यानी एक बड़ी आबादी के सामने कोरोना के ख़तरे का सामना करने के लिए कोई चारा नहीं है।