कोरोना का डेल्टा वैरिएंट जैसे-जैसे दुनिया में फैल रहा है कोरोना का नये सिरे से ख़तरा बढ़ता जा रहा है। बचने का एक तरीक़ा है वैक्सीन। लेकिन वैक्सीन तो पर्याप्त रूप से उपलब्ध नहीं है। और है भी तो उन देशों के पास जो संपन्न और तकनीकी तौर पर उन्नत हैं। यानी साफ़ कहें तो अमेरिका, यूरोपीय देश, चीन और दूसरे विकसित देश तो टीके लगा लेंगे, लेकिन एशिया और अफ्रीका के उन ग़रीब मुल्कों का क्या होगा जो न तो आर्थिक रूप से सक्षम हैं और न ही तकनीकी तौर पर इतने विकसित कि वे वैक्सीन बना या खरीद लेंगे। यही वजह है कि अधिकतर विकसित देश जहाँ अपनी 50 फ़ीसदी से भी ज़्यादा आबादी को पूरे टीके लगा चुके हैं वहीं कई ग़रीब देशों में तो एक फ़ीसदी भी टीके नहीं लगाए जा सके हैं। यानी एक बड़ी आबादी के सामने कोरोना के ख़तरे का सामना करने के लिए कोई चारा नहीं है।
डेल्टा वैरिएंट: एशिया, अफ़्रीका के ग़रीब देशों के सामने ज़्यादा ख़तरा क्यों?
- दुनिया
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- 4 Aug, 2021
कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से उन देशों के लोगों को ज़्यादा ख़तरा होगा जहाँ कोरोना के टीके कम लगाए गए हैं। आख़िर ये देश कौन हैं जहाँ टीके काफ़ी कम लगाए गए?

इसका नतीज़ा इंडोनेशिया, बांग्लादेश जैसे देशों में दिख भी रहा है। इंडोनेशिया में हर रोज़ 30-40 हज़ार संक्रमण के मामले आ रहे हैं। वहाँ सिर्फ़ 7.9 फ़ीसदी लोगों को ही टीके लगाए जा सके हैं। बांग्लादेश में भी हर रोज़ 21 हज़ार से ज़्यादा संक्रमण के मामले आ रहे हैं और वहाँ सिर्फ़ 2.6 फ़ीसदी लोगों को टीके लगाए जा सके हैं।