कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के साथ आई सबसे बुरी मुसीबत उसके ढेर सारे म्यूटेशन्स हैं, जिनकी वजह से टीके के प्रभाव का पता लगाना बेहद मुश्किल है। वैज्ञानिक यह नहीं समझ पा रहे हैं कि कोरोना टीके इस वायरस पर किस तरह और कितना प्रभावी होंगे और इनके इस्तेमाल से संक्रमण को रोकने में कितनी कामयाबी हासिल होगी।
दक्षिण अफ्रीका में पाए गए वायरस को रोकना अधिक मुश्किल इसलिए भी है कि वैज्ञानिकों का कहना है कि यह न्यूट्रलाइजेशन यानी उसे निष्प्रभावी करने के ख़िलाफ़ गुण विकसित कर लेगा, यानी उन्हें निष्प्रभावी नहीं किया जा सकेगा।
यह कितना भयावह हो सकता है, इसे इससे समझा जा सकता है कि दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना, इज़रायल और हांगकांग के कुछ केसों की ही पहचान अब तक हो पाई है।
क्वाज़ालु-नैटाल रीसर्च एंड इनोवेशन सीक्वेन्सिंग प्लैटफ़ॉर्म के निदेशक तूलियो डी ओलियोवीरा ने कहा है कि नए वैरिएंट बी. 1.1.529 के साथ जो म्यूटेशन्स हैं, वे बहुत ही अजूबे हैं। इनमें से 30 म्यूटेशन तो सिर्फ प्रोटीन में ही हैं।
उन्होंने 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' से बात करते हुए कहा,
“
इस वैरिएंट से जो अधिक चिंता की बात है, वह यह नहीं है कि इसमें फैलने की क्षमता ज़्यादा है और इस कारण अधिक तेज़ी से लोगों को संक्रमित कर सकता है, बल्कि यह कि यह हमारे इम्यून सिस्टम को अपने नियंत्रण में ले सकता है और उसे भेद कर अंदर प्रवेश कर सकता है।
तूलियो डी ओलियोवीरा, निदेशक, क्वाज़ालु-नैटाल रीसर्च एंड इनोवेशन सीक्वेन्सिंग प्लैटफ़ॉर्म
कम टीकाकरण!
यह वायरस कम उम्र के लोगों में पाया गया है, ये वे लोग हैं, जिनका टीकारण कम हुआ है। डॉक्टर जो फ़हाला के अनुसार, 'दक्षिण अफ्रीका के 18 से 34 साल की उम्र के महज एक चौथाई लोगों को टीका दिया गया है।'
डॉक्टर जो फ़हाला ने कहा कि हालांकि कोरोना संक्रमण फिलहाल बड़े शहरों और ख़ास कर व्यावसायिक राजधानी प्रीटोरिया और उसके आसपाल के इलाक़ों तक सीमित है, पर कुछ समय में ही यह पूरे देश में फैल सकता है। फिलहाल स्कूल बंद हैं और उनके खुलते ही यह तेजी से फैल सकता है।
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